जम्मू-कश्मीर NHRC के अंतर्गत आएगा; वहां सभी अन्य वैधानिक आयोग बहाल किए गए: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया

Shahadat

10 July 2024 11:27 AM IST

  • जम्मू-कश्मीर NHRC के अंतर्गत आएगा; वहां सभी अन्य वैधानिक आयोग बहाल किए गए: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया

    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि मानवाधिकार आयोग के अलावा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख में 6 प्रमुख वैधानिक आयोग नियुक्त किए गए। अब चूंकि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अधिकार क्षेत्र में आएगा।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में वैधानिक पैनल फिर से खोलने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों को मानवाधिकार मुद्दों के बारे में जम्मू-कश्मीर से ही NHRC में अपनी शिकायतें दर्ज कराने की अनुमति देने वाली एक प्रणाली लाने पर विचार करे।

    केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को एचआरसी को छोड़कर अधिकांश वैधानिक पैनलों को बहाल करने की जानकारी दी।

    कहा गया,

    "मानवाधिकार आयोग (HRC) को छोड़कर अन्य सभी आयोग नियुक्त किए जाते हैं। UT में HRC के लिए अभी तक कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए NHRC को शक्ति दी गई। यदि यह प्रदान किया जा सकता है तो मुझे सरकार से परामर्श करना चाहिए।"

    इस पर ध्यान देते हुए न्यायालय ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि उसके अंत में कोई और निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है।

    याचिका में निम्नलिखित आयोगों को बहाल करने की मांग की गई: (1) HRC; (2) राज्य महिला एवं बाल अधिकार संरक्षण आयोग; (3) राज्य दिव्यांग व्यक्ति आयोग; (4) राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग; (5) राज्य सूचना आयोग; (6) राज्य जवाबदेही आयोग और (7) राज्य महिला एवं बाल अधिकार संरक्षण आयोग

    याचिकाकर्ता-इन-पर्सन एडवोकेट असीम सुहास सरोदे द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू और कश्मीर में राज्य सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग और उपभोक्ता पैनल जैसे कई वैधानिक पैनल अब काम नहीं कर रहे हैं।

    गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बयान दर्ज किया कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार आयोग और सूचना आयोग जैसे वैधानिक पैनल फिर से खोलने पर उचित स्तर पर विचार किया जा रहा है, जो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किए जाने के बाद काम करना बंद कर चुके हैं।

    सुनवाई में एसजी मेहता ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार मुद्दों से निपटने के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग नहीं बल्कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उपयुक्त वैधानिक पैनल होगा।

    केस टाइटल: असीम सुहास सरोदे बनाम यूओआई और अन्य। WP(C) नंबर 921/2020

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