कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में हुई पारिस्थितिक तबाही की भरपाई करें, अवैध निर्माण गिराएं : सुप्रीम कोर्ट का उत्तराखंड सरकार को सख्त आदेश

Amir Ahmad

17 Nov 2025 4:19 PM IST

  • कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में हुई पारिस्थितिक तबाही की भरपाई करें, अवैध निर्माण गिराएं : सुप्रीम कोर्ट का उत्तराखंड सरकार को सख्त आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तराखंड सरकार को कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में अवैध पेड़ कटान और अनधिकृत निर्माणों से हुई व्यापक पारिस्थितिक क्षति की तत्काल भरपाई करने और सभी अवैध संरचनाओं को गिराने के सख्त निर्देश दिए।

    ये आदेश मार्च 2024 के उस फैसले के अनुपालन में जारी किए गए, जिसमें रिज़र्व क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई थी।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी आर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की पीठ ने अपने विस्तृत निर्देशों में कहा कि कॉर्बेट में अनधिकृत निर्माण, अवैध गतिविधियों और अनियंत्रित पर्यटन के चलते पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

    CJI ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) के साथ परामर्श करके दो महीने के भीतर वन पुनर्स्थापन योजना तैयार करनी होगी। सभी अवैध संरचनाओं को तीन महीने के भीतर ध्वस्त करना अनिवार्य किया गया और CEC इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी।

    CJI ने स्पष्ट करते हुए कहा,

    “उत्तराखंड राज्य को CEC की देखरेख में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व को हुए पारिस्थितिक नुकसान की मरम्मत और पुनर्स्थापना करनी होगी।”

    प्रस्तावित टाइगर सफारी परियोजनाओं को लेकर अदालत ने कहा कि उन्हें 2019 के नियमों और 2024 के फैसले में निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा। जानवरों को केवल उन स्रोतों से लाया जा सकता है, जिन्हें न्यायालय ने 2024 के निर्णय में वैध माना है।

    अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सफारी स्थलों के निकट उपचार और देखभाल के लिए बचाव केंद्र अनिवार्य रूप से स्थापित किए जाएं।

    सफारी संचालन का नियंत्रण संबंधित टाइगर रिज़र्व के फील्ड डायरेक्टर के हाथों में होगा। वाहनों की आवाजाही पर सख्त नियंत्रण की बात दोहराते हुए अदालत ने कहा कि सफारी क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले वाहनों की संख्या सीमित की जाए और पर्यावरणीय प्रभाव कम करने के लिए हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाए।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि संवेदनशील क्षेत्रों में केवल इको-पर्यटन की अनुमति होगी जबकि कई गतिविधियों को प्रतिबंधित या विनियमित किया जाएगा। सफारी क्षेत्र के आसपास संचालित होने वाले वन रिसॉर्टों के लिए भी कड़े मानक तय किए गए, जिनमें ध्वनि-स्तर सीमा और अन्य अनुपालन मानदंड शामिल हैं।

    छह महीने के भीतर व्यापक टाइगर संरक्षण योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया ताकि आवासों, कॉरिडोरों और जैव-विविधता के वैज्ञानिक प्रबंधन को सुनिश्चित किया जा सके।

    कोर्ट ने उन वनरक्षकों व अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधाओं पर भी विशेष जोर दिया, जो कोर जंगल क्षेत्रों में काम करते हैं। राज्य सरकार को उन्हें विशेष सुरक्षा उपाय प्रदान करने और कोर क्षेत्रों में ठेकेदारी व्यवस्था पर रोक लगाने का आदेश दिया गया।

    इसके अतिरिक्त मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करने तथा धार्मिक पर्यटन से जुड़े मामलों में भी नियामक उपाय लागू करने के निर्देश जारी किए गए।

    इन सभी आदेशों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया कि कॉर्बेट क्षेत्र में पर्यावरण की पुनर्बहाली और अवैध गतिविधियों पर सख्त रोक एक अत्यंत आवश्यक राष्ट्रीय दायित्व है, जिसकी अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    Next Story