सुप्रीम कोर्ट ने डुप्लिकेट एंट्रीज को हटाने के लिए मतदाता सूची के पुनर्विचार पर उठाए गए कदमों पर ECI से जवाब मांगा

Shahadat

23 Jan 2024 4:46 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने डुप्लिकेट एंट्रीज को हटाने के लिए मतदाता सूची के पुनर्विचार पर उठाए गए कदमों पर ECI से जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जनवरी) को भारत के चुनाव आयोग (ECI) से मतदाता सूची को संशोधित करने और उन मामलों में प्रविष्टियों के दोहराव (Duplicate Entries) के मुद्दे से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब मांगा, जहां मतदाताओं की मृत्यु हो गई, या उसने अपना निवास स्थान बदल लिया।

    सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ को सूचित किया कि न्यायालय के पिछले आदेश के अनुपालन में चुनाव आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

    उन्होंने कहा,

    "चुनाव आयोग को विशेष रूप से अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए निर्देशित किया गया था। अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।"

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने जवाब दिया,

    "हमने अभी तक नोटिस जारी नहीं किया।"

    इसके साथ ही कोर्ट ने ECI के सरकारी वकील अमित शर्मा से सहायता मांगी। सरकारी वकील शर्मा ने ECI की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

    पीठ ने अपने आदेश में ECI को "डुप्लिकेट एंट्रीज के संबंध में मतदाता सूची के संशोधन के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदमों" पर 2 सप्ताह के भीतर संक्षिप्त जवाब दाखिल करने को कहा।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ गैर सरकारी संगठन संविधान बचाओ ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    पिछली सुनवाई में मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर वकील अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि मतदाता सूची को अपडेट करने की वर्तमान प्रक्रिया मुख्य रूप से उन मृत व्यक्तियों के नाम हटाने पर केंद्रित है, जिन्होंने अपना निवास स्थान बदल लिया है। हालांकि, अरोड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि मतदाता सूची में डुप्लिकेट एंट्रीज के मुद्दे से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके अलावा, अरोड़ा ने बताया कि इन मुद्दों को संबोधित करने की कवायद चालू वर्ष के जुलाई और अगस्त के बीच पहले ही पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश के संचार पर भरोसा करते हुए उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि डुप्लिकेट एंट्रीज के सत्यापन के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

    न्यायालय ने अपने अंतिम आदेश में कहा,

    "इससे पहले कि यह न्यायालय इस मामले में आगे बढ़ने का फैसला करे। यह उचित होगा कि हम निर्देश दें कि याचिका की एक प्रति भारत के चुनाव आयोग के स्थायी वकील अमित शर्मा को दी जाए।"

    केस टाइटल: संविधान बचाओ ट्रस्ट बनाम भारत निर्वाचन आयोग डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 1228/2023 पीआईएल-डब्ल्यू

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