केरल में चल रही SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची IUML
Amir Ahmad
17 Nov 2025 12:31 PM IST

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने केरल में जारी विशेष अंतरिम पुनर्विचार (SIR) प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की। पार्टी का कहना है कि जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया जारी है तब ऐसे समय में मतदाता सूची के विशेष पुनर्विचार का आयोजन न केवल परंपरागत चुनावी प्रक्रिया के विरुद्ध है बल्कि इससे चुनावी प्रणाली की स्थिरता और विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है।
याचिका में चुनाव आयोग द्वारा 27 अक्तूबर को जारी उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई, जिसके तहत केरल में SIR प्रक्रिया आरंभ की गई। IUML ने अदालत को अवगत कराया कि राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनाव की तिथियां पहले ही घोषित कर चुका है। चुनाव दो चरणों में 9 और 11 दिसंबर को होने हैं, जबकि SIR के तहत संशोधित मतदाता सूची का मसौदा 4 दिसंबर को प्रकाशित किया जाना है।
पार्टी ने तर्क दिया कि बिना किसी ठोस तथ्य जैसे मतदाता सूची में व्यापक गड़बड़ी, दोहराव या किसी संगठित धोखाधड़ी के इतनी व्यापक पुनर्विचार प्रक्रिया शुरू करना अनुचित और मनमाना कदम है। याचिका के अनुसार प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में कहीं भी यह प्रावधान नहीं है कि बिना व्यक्तिगत जांच-पड़ताल के किसी वैध मतदाता सूची को निरस्त या निष्प्रभावी कर दिया जाए। IUML ने कहा कि केरल में चुनावी तंत्र को लेकर किसी भी तरह की अनियमितता सामने न आने के बावजूद SIR लागू करना कानून की सीमा से परे है।
SIR पर रोक लगाने के लिए दायर आवेदन में पार्टी ने हाल ही में हुई एक दुखद घटना का भी ज़िक्र किया, जिसमें बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) अनीश जॉर्ज की मौत हो गई। आरोप है कि अत्यधिक कार्यभार और लगातार दबाव के चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली। आवेदन में कहा गया कि कई BLO सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक सप्ताहांत सहित लगातार काम कर रहे हैं, जिससे निर्धारित समय में घर-घर जाकर प्रपत्र वितरण और सत्यापन कर पाना लगभग असंभव हो गया।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि एक माह की अवधि ऐसे समय में दी गई, जब राज्य में स्थानीय चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। ऊपर से बड़ी संख्या में प्रवासी निवासियों वाले राज्य में यह प्रक्रिया कई योग्य मतदाताओं के नाम हटाए जाने का कारण बन सकती है। IUML का आरोप है कि SIR की रचना ही इस तरह की गई है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम मसौदा सूची से हट जाएं, जो नागरिकों के मताधिकार और संविधानिक मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि केरल सरकार ने भी पिछले सप्ताह हाईकोर्ट में SIR स्थगित करने की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा था कि मामले की सुनवाई पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए राज्य वहीं अपनी बात रखे।
IUML की यह याचिका सीनियर एडवोकेट हारिस बीरन द्वारा तैयार की गई और एडवोकेट आर.एस. जेना के माध्यम से दायर की गई।

