एक तत्काल सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के कारण 28 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग की मेडिकल जांच के आदेश दिए

LiveLaw News Network

19 April 2024 1:05 PM GMT

  • एक तत्काल सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के कारण 28 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग की मेडिकल जांच के आदेश दिए

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक तत्काल सुनवाई में, यौन उत्पीड़न के कारण 28 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग करने वाली 14 वर्षीय नाबालिग की मेडिकल जांच का आदेश दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने शाम 4 बजे के बाद की सुनवाई में नाबालिग की शनिवार (20 अप्रैल) को महाराष्ट्र के सायन अस्पताल में मेडिकल जांच कराने का निर्देश दिया है। इस तरह की गर्भ समाप्ति की अनुमति देने की स्थिति में नाबालिग पर संभावित मानसिक और शारीरिक प्रभावों के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए चिकित्सा परीक्षण का निर्देश दिया गया है।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए नियमित अदालती समय के बाद लगभग 4.30 बजे फिर से एकत्र हुई थी।

    नाबालिग की मां द्वारा दायर याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के 4 अप्रैल 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसने गर्भ समाप्ति की उक्त राहत देने से इनकार कर दिया था। नाबालिग के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था और इस संबंध में आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा जिस मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा किया गया वह नाबालिग पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति का मूल्यांकन करने में विफल रही, विशेष रूप से कथित यौन उत्पीड़न के संदर्भ में। एएसजी ऐश्वर्या भाटी वर्तमान मामले में अदालत की सहायता के लिए उपस्थित हुईं।

    "रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से, इस अदालत के समक्ष एक उल्लेखनीय बात यह उभरती है कि प्रथम दृष्टया, मेडिकल रिपोर्ट में नाबालिग की शारीरिक और मानसिक स्थिति का मूल्यांकन शामिल नहीं है, विशेष रूप से गर्भधारण की पृष्ठभूमि के संबंध में, जिसमें कथित यौन उत्पीड़न भी शामिल है ।"

    पीठ ने निर्देश दिया है कि महाराष्ट्र राज्य याचिकाकर्ता और नाबालिग बेटी को कुशलतापूर्वक चिकित्सा परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाना सुनिश्चित करे। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि इस तरह की जांच के लिए अस्पताल द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड इस बात पर भी राय दे कि क्या नाबालिग के जीवन को खतरे में डाले बिना गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है।

    "इसके अलावा, अदालत को इस बात से अवगत कराया जाना आवश्यक है कि क्या नाबालिग की गर्भावस्था को ले जाने से नाबालिग की मानसिक हालत पर असर पड़ेगा, जो मुश्किल से 14 साल की है... याचिकाकर्ताओं की नए सिरे से जांच की जानी चाहिए और सायन अस्पताल द्वारा मेडिकल बोर्ड का गठन कल (20 अप्रैल) किया जाएगा, हम सायन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से उस उद्देश्य के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का अनुरोध करते हैं, हम महाराष्ट्र राज्य के विद्वान वकील से याचिकाकर्ता और उनकी बेची के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं...अस्पताल की रिपोर्ट 22 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे इस अदालत के समक्ष रखी जाएगी...मेडिकल बोर्ड इस पर भी राय देगा कि क्या इस स्तर पर नाबालिग बच्चे के जीवन को खतरे में डाले बिना गर्भपात किया जा सकता है । इसे सोमवार सुबह 10:30 बजे पहले केस के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।"

    याचिका पर प्राथमिकता के आधार पर सोमवार (22 अप्रैल) सुबह 10:30 बजे सुनवाई होगी।

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