सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 30 अगस्त तक प्रत्येक जिले में विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों की नियुक्ति करने की अंतिम समय-सीमा दी

Shahadat

10 July 2024 6:04 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 30 अगस्त तक प्रत्येक जिले में विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों की नियुक्ति करने की अंतिम समय-सीमा दी

    सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2024 तक प्रत्येक जिले में विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों (SAA) की नियुक्ति करने में कई राज्यों द्वारा गैर-अनुपालन पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 30 अगस्त, 2024 तक पहले के आदेश का सख्ती से अनुपालन करने का निर्देश दिया, ऐसा न करने पर उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ देश में दत्तक ग्रहण प्रक्रियाओं को सरल बनाने की मांग करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसे "द टेंपल ऑफ हीलिंग" नामक एक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा दायर किया गया।

    न्यायालय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की अनुपालन रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिसमें खुलासा हुआ कि देश के 760 जिलों में से केवल 390 जिलों में ही कार्यात्मक SAA हैं। इससे 370 जिले ऐसे एजेंसियों के बिना रह गए हैं, जिससे उन क्षेत्रों में गोद लेने की प्रक्रिया में बाधा आ रही है।

    पीठ ने दर्ज किया कि गोवा, चंडीगढ़, राजस्थान, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों ने अपने सभी जिलों में SAA स्थापित करके पूर्ण अनुपालन दिखाया। इसके विपरीत, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, पंजाब, नागालैंड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में आधे से भी कम जिलों में SAA संचालित हैं। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, 75 में से 61 जिलों में कार्यशील SAA नहीं हैं।

    न्यायालय ने अपने आदेश में जोर देकर कहा कि 20 नवंबर, 2023 के अपने आदेश के अनुरूप SAA को विधिवत नियुक्त करने के लिए मार्च 2024 में अपने पिछले आदेश के 5 महीने बीत जाने के बाद भी पूर्ण अनुपालन नहीं हुआ। नवंबर 2023 के आदेश के अनुसार न्यायालय ने निर्देश दिया था कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 31 जनवरी, 2024 तक SAA स्थापित करेंगे।

    कहा गया,

    "पिछले आदेश (15 मार्च) में हमने पहले के निर्देशों का पालन करने में प्रथम दृष्टया उल्लंघन दर्ज करते हुए राज्यों को एक और अवसर दिया, जिसमें विफल रहने पर यह न्यायालय कार्यवाही का सहारा लेने के लिए बाध्य होगा।"

    इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए न्यायालय ने अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 30 अगस्त, 2024 तक अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहने वालों को 2 सितंबर, 2024 को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर यह बताना होगा कि उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। हालांकि, यह निर्देश उन राज्यों को छूट देता है, जिन्होंने पूर्ण अनुपालन हासिल किया।

    आगे कहा गया,

    "हम अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ बलपूर्वक कार्यवाही करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद सभी जिलों में SAA स्थापित नहीं किए गए । हमने तदनुसार, निर्देश दिया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव 30 अगस्त 2024 को या उससे पहले अनुपालन हलफनामा दाखिल करेंगे, ऐसा न करने पर वे 2 सितंबर 2024 को इस अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे, जिससे यह स्पष्ट किया जा सके कि उनके खिलाफ अवमानना ​​क्षेत्राधिकार के तहत कार्यवाही क्यों न की जाए। यह उन राज्यों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने पूर्ण अनुपालन हासिल कर लिया है।"

    देश भर में गोद लेने की संख्या में वृद्धि; पंजीकरण और वास्तविक गोद लेने के बीच अंतर को अभी पाटा जाना

    केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को अवगत कराया कि चुनौतियों के बावजूद, देश भर में गोद लेने की प्रक्रिया में उल्लेखनीय प्रगति हुई। चालू वर्ष में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के माध्यम से 40,028 बच्चों को गोद लिया गया, जो 2017 के बाद से सबसे अधिक संख्या है। हालांकि, गोद लेने के लिए पंजीकरण की संख्या, जो वर्ष के लिए 13,000 है, और वास्तव में पूर्ण किए गए गोद लेने के बीच एक बड़ा अंतर बना हुआ है।

    बढ़ते पंजीकरण और वास्तविक गोद लेने के बीच के अंतर को पाटने के मुद्दे पर विचार करते हुए सीजेआई ने अपने आदेश में कहा कि संस्थागत बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की आवश्यकता है।

    कहा गया,

    "वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 13467 रजिस्ट्रेशन हुए। रजिस्ट्रेशन की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन रजिस्ट्रेशन और वास्तविक गोद लेने के बीच गंभीर अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए यह आवश्यक है कि कानून में जिस बुनियादी ढांचे की परिकल्पना की गई है, उसे विधिवत रूप से उन्नत किया जाए।"

    2022 CARA दत्तक ग्रहण विनियमों की अनुसूची 14 का हवाला देते हुए न्यायालय ने आगे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया गया कि गोद लेने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए विनियमों में निर्धारित समयसीमा का विधिवत अनुपालन किया गया या नहीं। उन्हें प्रक्रिया को पूरा करने में लगने वाले वास्तविक समय का डेटा भी दाखिल करना चाहिए, यदि निर्धारित समयसीमा का अनुपालन नहीं किया जाता है तो कारण भी बताए जाने चाहिए।

    याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम, 1956 (HAMA) के तहत गोद लेने की प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देश भी मांगे। हालांकि सीजेआई ने कहा कि चूंकि प्रासंगिक नियम पहले से ही HAMA क़ानून के तहत निर्धारित हैं, इसलिए क़ानून के भीतर विनिर्देशों में हस्तक्षेप करना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं होगा।

    आगे कहा गया,

    "न्यायालय के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना मुश्किल होगा, क्योंकि वैध गोद लेने की शर्तें निर्धारित हैं। एक बार क़ानून बहुत स्पष्ट हो जाने के बाद न्यायालय के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना उचित नहीं होगा।"

    केस टाइटल: द टेंपल ऑफ़ हीलिंग बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया | WP(C) 1003/2021

    Next Story