सुप्रीम कोर्ट ने हाशिमपुरा नरसंहार के लिए दोषी ठहराए गए UP Police अधिकारियों को जमानत दी
Amir Ahmad
6 Dec 2024 3:51 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) के उन कर्मियों को जमानत दी, जिन्हें 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया था।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने यह आदेश इस बात पर विचार करते हुए पारित किया कि दोषी नवंबर 2018 से छह साल से अधिक समय से कारावास की सजा काट रहे हैं।
पीठ ने निर्देश दिया कि दोषियों को जमानत बांड के निष्पादन के लिए एक सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए।
दोषियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अमित आनंद तिवारी ने कहा कि घटना 1987 की है और दिल्ली हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2018 में गलती से उन्हें बरी कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दस दोषियों - समी उल्लाह, निरंजन लाल, सुरेश चंद शर्मा, राम ध्यान, हम्बीर सिंह, कुंवर पाल सिंह, बुद्ध सिंह और मोहकम सिंह, महेश प्रसाद और जयपाल सिंह द्वारा दायर आवेदनों को स्वीकार कर लिया।
पूरा मामला
22 मई 1987 को मेरठ में सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर प्रांतीय सशस्त्र बल (PAC) के सशस्त्र कर्मियों द्वारा उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हाशिमपुरा से मुस्लिम समुदाय के लगभग 42 से 45 लोगों का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था। इनमें से लगभग 35 लोगों की उसी दिन देर रात PAC द्वारा हत्या कर दी गई और उनके शवों को नहर में फेंक दिया गया।
2015 में ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
अक्टूबर 2018 में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की हाईकोर्ट की पीठ ने बरी किए जाने के फैसले को पलट दिया और 16 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने इस हत्याकांड को पुलिस द्वारा निहत्थे और असहाय लोगों की "लक्षित हत्या” करार दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक अपीलें वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं।
टाइटल: समी उल्लाह एवं अन्य बनाम जुल्फिकार नासिर एवं अन्य सीआरएल.ए. संख्या 1547-1549/2018 और संबंधित मामले