जयललिता की भतीजी ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
Amir Ahmad
7 Feb 2025 12:18 PM IST

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की भतीजी ने जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई संपत्ति वापस पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जे दीपा ने जयललिता की संपत्ति उन्हें वापस देने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि दिसंबर 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद उनके खिलाफ आपराधिक मामला समाप्त हो गया, इसलिए कार्यवाही के दौरान जब्त की गई उनकी संपत्ति वापस की जानी चाहिए।
सितंबर 2014 में ट्रायल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जयललिता को दोषी ठहराया। उन्हें चार साल की अवधि के लिए साधारण कारावास और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई। 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि खारिज किया और उन्हें बरी कर दिया। जबकि हाईकोर्ट के बरी होने को चुनौती देने वाली राज्य की याचिका सुप्रीम में लंबित थी, दिसंबर 2015 में AIADMK सुप्रीमो का निधन हो गया।
फरवरी, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज किया कि जयललिता के खिलाफ अपील खारिज हो गई और अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि बहाल की गई।
जे. दीपा ने याचिका में तर्क दिया,
"डॉ. जे. जयललिता के संबंध में, जिन्हें ए 1 के रूप में वर्गीकृत किया गया, आपराधिक अपील समाप्त हो गई और एस.पी.एल. सी.सी. नंबर 208/2004 में कुर्क की गई संपत्ति को जब्त करने/जब्त करने के लिए स्पेशल कोर्ट का निर्देश केवल ए 2 से ए4 तक सीमित है। यह डॉ. जे. जयललिता पर लागू नहीं होता है।”
उन्होंने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें और उनके भाई को जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी थी। उन्हें उनकी चाची की संपत्तियों के संबंध में प्रशासन के पत्र दिए।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने जे दीपा की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दर्ज किया गया। स्पष्ट निष्कर्ष है कि जब्ती के आदेश और अन्य निर्देशों का मृतक ए1 (जयललिता) के एलआर (कानूनी प्रतिनिधि) सहित सभी संबंधित पक्षों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पैरा नंबर 536 में ए1 की मृत्यु के घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए यह देखने में पर्याप्त सावधानी बरती कि ए1 के संबंध में आपराधिक कार्यवाही को से समाप्त किया जा सकता है। आदेश के पैरा 536 और पैरा 542 में उक्त पहलू पर विचार करने के बावजूद, यह विशेष रूप से माना गया कि परिणामी निर्देशों सहित ट्रायल कोर्ट के आदेश को पूरी तरह से बहाल किया जाता है।”