गर्भवती महिला सुनेली खातून और बेटे की वापसी पर राज़ी हुआ केंद्र : सुप्रीम कोर्ट में दिया मानवीय आधार पर आश्वासन

Amir Ahmad

3 Dec 2025 12:30 PM IST

  • गर्भवती महिला सुनेली खातून और बेटे की वापसी पर राज़ी हुआ केंद्र : सुप्रीम कोर्ट में दिया मानवीय आधार पर आश्वासन

    सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया कि बांग्लादेश निर्वासित की गई गर्भवती महिला सुनेली खातून और उसके आठ वर्षीय पुत्र साबिर को मानवीय आधार पर भारत वापस लाया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ के समक्ष यह बयान दिया।

    अदालत को बताया गया कि सरकार आवश्यक प्रक्रिया का पालन करते हुए दोनों को भारत लाएगी और यह कदम मामले के गुण-दोष पर उसके रुख को प्रभावित किए बिना उठाया जा रहा है। साथ ही सरकार अपने अधिकार सुरक्षित रखते हुए उनकी निगरानी भी कर सकेगी।

    इससे पूर्व सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या मानवीय आधार पर महिला और उसके बेटे को वापस बुलाया जा सकता है। केंद्र सरकार से निर्देश प्राप्त करने के बाद सॉलिसिटर जनरल ने उनकी वापसी पर सहमति जता दी।

    अदालत ने अपने आदेश में दर्ज किया कि सुनेली खातून को दिल्ली से हिरासत में लिया गया था, इसलिए उन्हें वापस दिल्ली लाया जाएगा। हालांकि, प्रतिवादी पक्ष की ओर से यह सुझाव दिया गया कि बेहतर होगा कि महिला को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के उस शहर में भेजा जाए, जहां उनके पिता रहते हैं।

    कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि सुनेली खातून को उनकी गर्भावस्था को ध्यान में रखते हुए फ्री मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए और उनके पुत्र साबिर की भी समुचित देखभाल सुनिश्चित की जाए।

    यह मामला केंद्र सरकार द्वारा कोलकाता हाईकोर्ट के 27 सितंबर के आदेश के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ व्यक्तियों की वापसी का निर्देश दिया था, जिन्हें दिल्ली से पकड़कर बांग्लादेश भेज दिया गया। यह याचिका भोडु शेख ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी, दामाद और पोते के प्रोडक्शन की मांग की थी।

    सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कम से कम गर्भवती महिला और उसके बेटे को वापस लाने का सुझाव दिया। आज (बुधवार) पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अन्य चार निर्वासित व्यक्तियों की वापसी पर भी केंद्र से निर्देश लेने की मांग की। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वे सभी बांग्लादेशी नागरिक हैं और इस पर केंद्र सरकार का गंभीर विवाद है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में राज्य सरकार का कैविएट दाखिल कर संरक्षण मांगना आश्चर्यजनक है।

    भोडु शेख की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े पेश हुए। सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि यदि सुनेली खातून भोडु शेख के साथ अपना जैविक संबंध स्थापित कर देती हैं, जो एक भारतीय नागरिक हैं तो वह भारतीय नागरिकता का दावा भी कर सकती हैं।

    पिछले सप्ताह कोर्ट ने सुझाव दिया कि सभी संबंधित व्यक्तियों को भारत वापस लाकर उन्हें पक्ष रखने का अवसर दिया जाए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि सरकार यह सिद्ध कर सकती है कि वे विदेशी नागरिक हैं और उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में लंबित अवमानना याचिका की सुनवाई पर रोक की मांग भी की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई आदेश पारित नहीं किया और कहा कि जब मामला उसके समक्ष विचाराधीन है तो हाईकोर्ट आगे कोई कार्यवाही नहीं करेगा।

    इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।

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