BREAKING: वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर समय-वृद्धि से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, ट्रिब्यूनल जाने की छूट
Amir Ahmad
1 Dec 2025 2:46 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों का विवरण सरकारी डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करने के लिए समय-सीमा बढ़ाने से सोमवार को इनकार किया। अदालत ने कहा कि क़ानून के प्रावधानों के तहत वक्फ ट्रिब्यूनल को उचित मामलों में समय बढ़ाने का अधिकार दिया गया और आवेदक व्यक्तिगत रूप से ट्रिब्यूनल के समक्ष आवेदन कर सकते हैं।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने सभी अर्ज़ियों का निस्तारण करते हुए आवेदकों को तय समय-सीमा समाप्त होने से पहले संबंधित ट्रिब्यूनल से संपर्क करने की स्वतंत्रता प्रदान की।
सुनवाई की शुरुआत में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि संशोधित क़ानून आठ अप्रैल से लागू हुआ लेकिन डिजिटल पोर्टल छह जून को शुरू हुआ और नियम तीन जुलाई को बनाए गए। ऐसे में छह महीने की अवधि बेहद कम है, क्योंकि कई पुराने वक्फों से जुड़े आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सौ-सौ साल पुराने वक्फों के वक़िफ़ की जानकारी तक पता नहीं है और बिना पूर्ण विवरण के पोर्टल आवेदन स्वीकार ही नहीं करता।
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने भी पोर्टल में तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करना चाहते हैं लेकिन उन्हें अतिरिक्त समय चाहिए।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को अवगत कराया कि क़ानून की धारा तीन बी के प्रावधान में स्पष्ट है कि वक्फ ट्रिब्यूनल उचित मामलों में रजिस्ट्रेशन के लिए समय सीमा बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वक्फ मामले के आधार पर ट्रिब्यूनल से समय-वृद्धि मांग सकता है और छह दिसंबर अंतिम तिथि है, क्योंकि पोर्टल छह जून से कार्यरत है।
कपिल सिब्बल ने इस पर कहा कि इसका अर्थ यह हुआ कि लाखों मुतवल्लियों को अलग-अलग ट्रिब्यूनल में अर्ज़ियां देनी पड़ेंगी। खंडपीठ ने जवाब में कहा कि ऐसे मामलों में यही विधिक उपाय उपलब्ध है।
जस्टिस दत्ता ने यह भी कहा कि यदि पोर्टल के संचालन में खामियां हैं तो इसका ठोस आधार प्रस्तुत किया जाना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि बड़ी संख्या में वक्फ पहले ही रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि यह मामला केवल रजिस्ट्रेशन का नहीं बल्कि पहले से पंजीकृत वक्फ संपत्तियों के डिजिटल दर्जीकरण का है जिस पर अंतरिम आदेश में पूरी तरह विचार नहीं हुआ था। कुछ राज्यों के वक्फ बोर्डों ने भी व्यावहारिक दिक्कतों का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि तय समय में समस्त जानकारी अपलोड करना कठिन है।
सभी दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने का निर्देश देने से इनकार किया। खंडपीठ ने कहा कि धारा तीन बी के अंतर्गत ट्रिब्यूनल के पास समय बढ़ाने का अधिकार है। इसलिए आवेदक निर्धारित अवधि समाप्त होने से पहले ट्रिब्यूनल का रुख कर सकते हैं।
यह मामला वक्फ संशोधन अधिनियम दो हजार पच्चीस से जुड़ा है, जिसके तहत सभी वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य डिजिटल रजिस्ट्रेशन सरकार के पोर्टल पर किया जाना है। इसी कानून के तहत कई पक्षों, जिनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं, ने समय सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
गौरतलब है कि पिछले अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई थी लेकिन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने वाली व्यवस्था पर रोक लगाने से इनकार किया था। कानून के अनुसार आठ अप्रैल से छह महीने के भीतर सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण अपलोड करना आवश्यक है, अन्यथा संबंधित वक्फ संपत्ति के कानूनी संरक्षण पर असर पड़ सकता है।

