राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 15| जवाब के साथ हलफनामा/दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं, निर्देशात्मक प्रकृति का: हाईकोर्ट ने दोहराया

Amir Ahmad

12 Jun 2025 5:36 PM IST

  • राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 15| जवाब के साथ हलफनामा/दस्तावेज़ प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं, निर्देशात्मक प्रकृति का: हाईकोर्ट ने दोहराया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने रमेश कुमार बनाम चंदू लाल व अन्य मामले में डिवीजन बेंच के निर्णय पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 15 अनिवार्य नहीं बल्कि निर्देशात्मक (Directory) प्रकृति की है।

    अधिनियम की धारा 15 के अनुसार पक्षकार को अपने जवाब के साथ हलफनामे और दस्तावेज़ दाखिल करने होते हैं।

    जस्टिस अनूप कुमार धंड की एकल पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें किराया न्यायाधिकरण (Rent Tribunal) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता का हलफनामा रिकॉर्ड पर लेने से इस आधार पर इनकार कर दिया गया था कि ये दस्तावेज़ जवाब के साथ ही दाखिल किए जाने चाहिए थे।

    याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि रमेश कुमार के मामले में डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया है कि धारा 15 एक वैधानिक अनिवार्यता नहीं है।

    दोनों पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बात स्वीकार की और रमेश कुमार केस का अवलोकन किया, जिसमें डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय पर भरोसा जताया था जिसमें समान प्रकृति के प्रावधान को निर्देशात्मक माना गया था। डिवीजन बेंच ने कहा था,

    “यह विधि का स्थापित सिद्धांत है कि प्रक्रिया संबंधी कानून को सामान्यतः अनिवार्य नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि प्रक्रिया का उद्देश्य न्याय को बढ़ावा देना होता है, न कि उसे बाधित करना। यदि किसी प्रक्रिया का कठोर अनुपालन असुविधा या अन्याय का कारण बनता है तो उस प्रक्रिया को उदारतापूर्वक व्याख्यायित किया जाना चाहिए ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।”

    कोर्ट ने यह कहा कि इस निर्णय के आलोक में अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई कारण नहीं है।

    तदनुसार याचिका को मंजूर कर लिया गया, ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द किया गया और उसे याचिकाकर्ता का हलफनामा रिकॉर्ड पर लेने का निर्देश दिया गया।

    केस टाइटल: शंकर लाल बनाम जुगल किशोर एवं अन्य

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