दादा-दादी द्वारा दायर मामले पोते-पोतियों द्वारा सुनी गई सुनवाई: राजस्व न्यायालयों में देरी पर राजस्थान हाईकोर्ट की नाराजगी
Amir Ahmad
15 July 2025 3:39 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व बोर्ड के आदेश को चुनौती देने से जुड़े मामले में राजस्व न्यायालयों द्वारा मामलों के निस्तारण में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। न्यायालय ने कहा कि अक्सर दादा-दादी द्वारा दायर किए गए मामलों का निर्णय इतने लंबे समय बाद होता है कि उनके पोते-पोती ही उस फैसले को सुन पाते हैं।
न्यायालय ने इस संदर्भ में राजस्व मामलों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि राजस्व न्यायालयों का यह लापरवाह रवैया अब तुरंत बदले जाने की ज़रूरत है।
यह टिप्पणी राजस्व बोर्ड के एक आदेश को चुनौती देने के मामले में दी गई, जिसमें बोर्ड ने अपीलीय प्राधिकारी (Appellate Authority) का आदेश रद्द कर दिया और SDO के उस आदेश को बहाल कर दिया, जिसमें प्रतिवादियों को क्रॉस एक्जामिनेशन (Cross Examination) का अवसर दिए बिना वाद को डिक्री कर दिया गया था।
जस्टिस अनुप कुमार ढंड ने अपने आदेश में कहा कि उन्होंने कई बार यह देखा कि राजस्व न्यायालयों में बड़ी संख्या में वाद और विविध आवेदन लंबित हैं। साथ ही राजस्व अपीलीय न्यायालयों में भी दो से तीन दशक पुराने कई अपीलें लंबित हैं।
उन्होंने कहा,
“दुर्भाग्यवश, इन पुराने मामलों को प्राथमिकता नहीं दी जाती, जिससे निर्णय इतने विलंब से होते हैं कि मूल वादीगण के जीवनकाल में ही निर्णय नहीं हो पाते। ऐसे में अक्सर दादा-दादी द्वारा दायर किए गए मुकदमों का फैसला उनकी एक या दो पीढ़ी बाद पोते-पोतियों द्वारा सुना जाता है। राजस्व न्यायालयों की यह लापरवाही अब तत्काल और ठोस कदम उठाकर बदलने की आवश्यकता है। यह न केवल उपयुक्त समय है बल्कि अत्यंत आवश्यक समय भी है कि राजस्थान सरकार राजस्व न्यायालयों में न्याय व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए।”
इसके बाद न्यायालय ने राजस्व न्यायालयों में न्याय के प्रभावी प्रशासन के लिए कई सुझाव भी दिए और यह देखने के लिए कि आदेश का पालन हुआ या नहीं, मामले को 1 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिया।
केस टाइटल: शक्ति सिंह व अन्य बनाम श्रीमती राज व अन्य

