उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों पर मिलीभगत की संदेहास्पद परिस्थितियों में राजस्थान हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच

LiveLaw News Network

8 May 2024 5:26 AM GMT

  • उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों पर मिलीभगत की संदेहास्पद परिस्थितियों में राजस्थान हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच

    "मैं सत्य के पक्ष में हूं, चाहे कोई भी इसे कहे। मैं न्याय के पक्ष में हूं, चाहे वह किसी के पक्ष में हो या किसी के खिलाफ।" मैल्कम एक्स के इस प्रसिद्ध उद्धरण का उल्लेख करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने करोड़ों रुपए की वित्तीय धोखाधड़ी से सम्बन्धित प्रकरण के अनुसंधान में उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर अनुसंधान राज्य पुलिस से केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया है।

    जोधपुर में बैठी जस्टिस अली की एकल न्यायाधीश पीठ ने रिपोर्टेबल जजमेंट में कहा कि निष्पक्ष अनुसंधान की मांग करना एक मौलिक अधिकार है और यह हमेशा बिना किसी पक्षपात के और किसी भी पक्ष को इसकी पारदर्शिता पर उंगली उठाने का मौका दिए बिना निष्पक्ष, उचित और न्यायसंगत होना चाहिए।

    यदि किसी आपराधिक मामले में अनुसंधान निष्पक्ष, उचित तरीके से नहीं किया जाता है या दुर्भावना से किया जाता है, तो इससे एक तरफ अभियोजन पक्ष का मामला खत्म हो सकता है या दूसरी तरफ बचाव पक्ष के हितों को नुकसान हो सकता है।

    यह इस न्यायालय को हेनिंग मेनकेल के शब्दों की याद दिलाता है कि, "आपराधिक अनुसंधान एक निर्माण स्थल की तरह है। सब कुछ उचित क्रम में किया जाना चाहिए अन्यथा इमारत टिक नहीं पाएगी।"

    अदालत ने कहा,

    जहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तथ्यों को विकृत करने, झूठे साक्ष्य गढऩे, गैरकानूनी हिरासत, दागी और पक्षपातपूर्ण जांच, शक्ति का रंग-रूपी प्रयोग, अवैध रिश्वत की मांग, जबरन वसूली जैसा रवैया और प्रकरण के एक पक्ष के साथ मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, वहा निष्पक्ष और शुद्ध अनुसंधान सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान स्वतंत्र जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपना उचित है।

    इन परिस्थितियों में पुलिस पर गहराया संदेह-

    - एफआईआर संख्या 1/2024 में अनुसंधान अचानक अपने समापन के कगार पर रोक दिया गया।

    - जिस तरह से एफआईआर संख्या 33 और 34/2024 को 24 घंटे के भीतर तड़के दर्ज किया गया और वह भी एक ऐसे कारण से सम्बन्धित जो शिकायतकर्ता के लिए 3-4 साल पहले उत्पन्न हुआ था।

    - याचिकाकर्ता को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत आधी रात को गिरफ्तार करना और उसे 24 घंटे हिरासत में रखना तथा उसी दिन उसके खिलाफ पुरानी कार्रवाई से संबंधित दो मामले दर्ज करना।

    - सम्बन्धित एसपी और एडिशनल एसपी की हिरासत में क्रूरता।

    - सम्बन्धित पुलिस अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर अवैध रिश्वत की मांग।

    - एफआईआर संख्या 476/2021 में मामले को फिर से खोलना, जब आरोप का सार एफआईआर संख्या 1/2024 में मामले के तथ्यों से कोई प्रासंगिकता नहीं रखता, वह भी संबंधित अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद।

    - सबसे महत्वपूर्ण बात, गहन जांच करना, ताकि दो कागजात के बारे में पता चल सके, जो इसे राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के रूप में चित्रित करते हैं। संदिग्ध परिस्थितियों को दूर करना कि इसे किसने तैयार किया और पुलिस अधिकारियों को किसने दिया। विशेष रूप से, यह मुद्दा कि सामान्य विवेक वाला व्यक्ति एक कूटरचित आदेश क्यों तैयार करेगा, जिसमें नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है और उसके पक्ष में संरक्षण आदेश है, फिर वह तीसरे पक्ष के लिए खुद पर दायित्व क्यों डालेगा, जिसका उस मामले से कोई संबंध नहीं है।

    - इस परिस्थिति से बचने के लिए कि यदि इस विशेष मामले की अनुसंधान राज्य पुलिस के किसी अन्य आईपीएस या आरपीएस को स्थानांतरित कर दिया जाता है, तो पक्षपात संबंधी आशंकाओं की संभावना होगी।

    उपरोक्त परिस्थितयों का उल्लेख करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा धर्म पाल बनाम हरियाणा राज्य (2016), पश्चिमी बंगाल राज्य व अन्य बनाम कमेटी फॉर प्रोटक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स व अन्य (2010), सुब्रता चटर्जी बनाम भारत संघ (2014) तथा कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिमी बंगाल राज्य बनाम प्रवर्तन निदेशालय कोलकाता जोनल ऑफिस प्रथम (2024) के न्यायिक निर्णयों पर भरोसा करते हुए सीबीआई को सम्बन्धित न्यायालय में अनुसंधान का नतीजा पेश करने के निर्देश के साथ दोनों आपराधिक विविध याचिकाओं का निस्तारण कर दिया।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से नामित सीनियर एडवोकेट विनीत जैन और उनके सहयोगी हर्षवर्धन व फिरोज खान ने पक्ष रखा। वहीं वकील कर्मेन्द्र सिंह ने परिवादी का प्रतिनिधित्व किया। राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक एस.के. भाटी उपस्थित हुए।

    केस टाइटल - हिमांशु नानावटी बनाम राजस्थान राज्य व अन्य (एस.बी. आपराधिक विविध याचिका संख्या 1677/2024) एवं हिमांशु नानावटी बनाम राजस्थान राज्य व अन्य (एस.बी. आपराधिक विविध याचिका नंबर 1709/2024)

    रजाक खान हैदर @ जोधपुर लाइव लॉ नेटवर्क

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