S.24 CPC | जिला न्यायालय के समक्ष सफल ट्रांसफर याचिका को हाईकोर्ट में दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

Amir Ahmad

24 July 2024 10:23 AM GMT

  • S.24 CPC | जिला न्यायालय के समक्ष सफल ट्रांसफर याचिका को हाईकोर्ट में दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि धारा 24, सीपीसी के तहत जिला न्यायालय के समक्ष सफल ट्रांसफर याचिका को धारा 24, सीपीसी के तहत दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती।

    न्यायालय ने कहा कि धारा 24 जिला न्यायालय और हाईकोर्ट के समवर्ती क्षेत्राधिकार का प्रावधान करती है। इसलिए जिला न्यायालय के समक्ष असफल पक्ष समान क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है लेकिन विरोध करने वाले पक्ष को ऐसा करने की अनुमति नहीं होगी।

    जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ याचिकाकर्ता द्वारा धारा 24, सीपीसी के तहत दायर ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिला न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई। इसमें विपक्षी पक्ष द्वारा दायर ट्रांसफर याचिका को अनुमति दी गई।

    विपक्षी पक्ष ने भूमि विवाद से संबंधित याचिका के विरुद्ध स्थायी निषेधाज्ञा के लिए वाद दायर किया। इस निषेधाज्ञा आवेदन खारिज कर दिया गया। इससे व्यथित होकर निचली अपीलीय अदालत के समक्ष अपील दायर की गई, जिसे याचिका को यथास्थिति बनाए रखने और भूमि पर कोई नया निर्माण नहीं करने का निर्देश देते हुए आंशिक रूप से अनुमति दी गई। जब मामला साक्ष्य के स्तर पर लंबित था, विपक्षी पक्ष ने स्थानांतरण याचिका दायर की, जिसे जिला न्यायालय ने अनुमति दी थी।

    इस आदेश के विरुद्ध ही धारा 24 सीपीसी के तहत याचिका दायर की गई, जिसमें जिला न्यायालय के आदेश को अवैध, अन्यायपूर्ण, मनमाना और कानून के सुस्थापित सिद्धांतों के विरुद्ध बताया गया।

    इस याचिका के विरुद्ध विपक्षी पक्ष द्वारा प्रारंभिक आपत्ति उठाई गई, जिसमें तर्क दिया गया कि ट्रांसफर याचिका बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं थी। यह माना गया कि स्थानांतरण याचिका पर जिला न्यायालय के आदेश को दूसरी ट्रांसफर याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती, बल्कि धारा 227 के तहत रिट याचिका दायर की जानी चाहिए थी।

    न्यायालय ने धारा 24 को पढ़ने के बाद फैसला सुनाया कि धारा हाईकोर्ट और जिला न्यायालय के समवर्ती क्षेत्राधिकार के बारे में स्पष्ट है। हालांकि जो सवाल उठा वह यह था कि क्या समवर्तीता इस सीमा तक थी कि एक बार एक अदालत द्वारा आवेदन स्वीकार कर लिए जाने के बाद उस आदेश को चुनौती देने के लिए धारा के तहत हाईकोर्ट के समक्ष दूसरा आवेदन रखा जा सकता था।

    विपरीत पक्ष के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने जगदीश कुमार बनाम जिला न्यायाधीश, बदायूं और अन्य में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक मामले का उल्लेख किया, जिसमें यह देखा गया कि यदि ट्रांसफर की मांग करने वाला पक्ष जिला न्यायालय में असफल रहता है तो वह उसी धारा 24 के तहत हाईकोर्ट के समवर्ती क्षेत्राधिकार का रुख कर सकता है।

    हालांकि सफल आदेश का विरोध करने वाला पक्ष या तो जिला न्यायालय के समक्ष पुनः ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकता है या संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत आदेश को चुनौती दे सकता है, लेकिन उसी प्रावधान के तहत आदेश को चुनौती नहीं दे सकता है।

    न्यायालय ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड बनाम राम स्वरूप बजाज के मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें भी इसी तरह की टिप्पणी की गई।

    न्यायालय ने कहा,

    “उपर्युक्त प्रावधानों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि हाईकोर्ट को सीपीसी की धारा 24 के तहत आवेदन पर जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश रद्द करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया।”

    इस विश्लेषण के अनुसार न्यायालय ने कहा कि सीपीसी की धारा 24 के तहत स्थानांतरण याचिका में जिला जज द्वारा पारित अनुकूल आदेश से व्यथित व्यक्ति उस आदेश को रद्द करने के लिए धारा के तहत हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र का आह्वान नहीं कर सकता।

    कहा गया,

    “उपर्युक्त न्यायिक उदाहरणों के आलोक में यह न्यायालय इस राय का है कि जिला न्यायालय और हाईकोर्ट का अधिकार क्षेत्र संहिता की धारा 24 के अंतर्गत समवर्ती है, इसलिए जब जिला न्यायालय के समक्ष स्थानांतरण के लिए याचिका विफल हो जाती है तो आवेदन करने वाला पक्ष उसी प्रावधान के तहत हाईकोर्ट के समवर्ती अधिकार क्षेत्र का रुख कर सकता है, लेकिन विरोध करने वाले पक्ष को जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने के लिए सीपीसी की धारा 24 के अंतर्गत हाईकोर्ट का रुख करने से रोक दिया जाएगा।”

    तदनुसार याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल- जैन श्वेतांबर संघ धमोतर एवं अन्य बनाम गजेंद्र सिंह

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