राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता के आपराधिक मामले में धन ट्रांसफर पर बेटी के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की
Amir Ahmad
17 Feb 2025 6:13 AM

राजस्थान हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में आरोपी बेटी (याचिकाकर्ता) के खिलाफ दर्ज FIR इस तथ्य के आधार पर खारिज की कि उसने अपने पिता से कुछ पैसे प्राप्त किए, जो कथित तौर पर शिकायतकर्ता से बेईमानी से प्रलोभन के तहत प्राप्त किए गए, जिसके साथ उसने बिक्री के लिए समझौता किया था।
जस्टिस फरजंद अली की पीठ ने माना कि प्रतिनिधि दायित्व का नियम यहां लागू नहीं होता, न ही याचिकाकर्ता द्वारा अपने पिता के साथ आपराधिक साजिश का कोई आरोप था। FIR या शिकायतकर्ता के बयान में भी उस पर आरोप नहीं लगाया गया।
FIR के अनुसार शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के पिता के साथ बिक्री के लिए समझौता किया था, जिसके लिए कथित तौर पर बेईमानी से प्रलोभन के तहत पिता को एक राशि दी गई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार लगभग दो साल बाद इस राशि का कुछ हिस्सा याचिकाकर्ता के खाते में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसके आधार पर उसे मामले में आरोपी के रूप में बुक किया गया, क्योंकि यह राशि उस राशि से संबंधित थी जो शिकायतकर्ता ने पिता को दी थी।
तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने माना,
“याचिकाकर्ता की उपस्थिति का आरोप FIR या बयान में कहीं भी नहीं लगाया गया। उसे आरोपी के रूप में पेश करने के लिए कोई कानाफूसी या सबूत भी नहीं है, यहां प्रतिनिधि दायित्व का नियम लागू नहीं होता है। आरोप IPC की धारा 420, 467, 468 के तहत अपराध करने के हैं। याचिकाकर्ता द्वारा अपने पिता के साथ आपराधिक साजिश रचने या शिकायतकर्ता को प्रलोभन देने और उसे नुकसान पहुंचाने के संबंध में किसी भी तरह की मिलीभगत का कोई आरोप नहीं है।”
इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि एक पिता अपनी बेटी को कुछ पैसे ट्रांसफर कर सकता है।
तदनुसार बेटी-याचिकाकर्ता के खिलाफ FIR खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: भारती शर्मा बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।