वकालतनामा स्टांप और सदस्यता शुल्क बढ़ाने को चुनौती: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

Amir Ahmad

19 Dec 2025 1:32 PM IST

  • वकालतनामा स्टांप और सदस्यता शुल्क बढ़ाने को चुनौती: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान एडवोकेट कल्याण निधि (संशोधन) अधिनियम, 2020 को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। इस संशोधन अधिनियम के जरिए वकालतनामा पर लगने वाले कल्याण स्टांप शुल्क को चार गुना बढ़ाया गया। साथ ही राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि की सदस्यता शुल्क में भी वृद्धि की गई।

    याचिका में कहा गया कि राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम 1987 का मूल उद्देश्य अधिक से अधिक अधिवक्ताओं को इसके दायरे में लाना है ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी लाभ मिल सकें। हालांकि, 2020 के संशोधन के जरिए सदस्यता शुल्क में की गई बढ़ोतरी के कारण यह उद्देश्य ही निष्फल हो गया, क्योंकि अब बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं के लिए सदस्यता लेना आर्थिक रूप से संभव नहीं रह गया।

    याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि वकालतनामा पर लगने वाले कल्याण स्टांप की राशि को चार गुना बढ़ाकर 100 रुपये कर देना और उसमें हर साल 10 रुपये की वृद्धि का प्रावधान करना स्पष्ट रूप से मनमाना और अत्यधिक है। याचिका में कहा गया कि विधायिका का उद्देश्य अधिवक्ताओं पर अनावश्यक वित्तीय बोझ डालना नहीं हो सकता।

    इसके अलावा, याचिका में इस बात पर भी आपत्ति जताई गई कि कल्याण स्टांप शुल्क में चार गुना वृद्धि के बावजूद 40 वर्ष की वकालत पूरी करने पर वकीलों को मिलने वाली राशि में दो गुना तक की वृद्धि नहीं की गई। इससे यह संकेत मिलता है कि संशोधन अधिनियम के बाद कल्याण निधि तो बढ़ेगी लेकिन उसका लाभ अधिवक्ताओं को अनुपातिक रूप से नहीं मिलेगा।

    याचिका में यह भी कहा गया कि 50 वर्ष की वकालत पूरी कर पाना बहुत कम वकीलों के लिए संभव होता है। ऐसे में 50 वर्ष की प्रैक्टिस पूरी करने वाले वकीलों के लिए अधिक राशि आरक्षित करना और 40 वर्ष की सेवा पूरी करने वालों के लिए तुलनात्मक रूप से कम लाभ देना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

    याचिकाकर्ता के अनुसार वर्ष 2020 का संशोधन अधिनियम वकील समुदाय को प्रतिकूल स्थिति में डालता है और यह न केवल स्पष्ट रूप से मनमाना है, बल्कि अवैध और असंवैधानिक भी है।

    इन दलीलों पर संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। मामले की आगे की सुनवाई में संशोधित अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर विचार किया जाएगा।

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