राजस्थान हाइकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता को कपड़े उतारने के लिए कहने के आरोपी न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ़ बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाई
Amir Ahmad
10 April 2024 1:31 PM IST

Rajasthan High Court
राजस्थान हाइकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ़ 27 मई तक बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगा दी, जिस पर पिछले महीने बलात्कार पीड़िता को कपड़े उतारने और उसके घाव दिखाने के लिए कहने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। हाइकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को भी मामले को सनसनीखेज न बनाने का निर्देश दिया।
जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने राजस्थान न्यायिक सेवा अधिकारी संघ द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश (आरोपी-जेएम के खिलाफ़ बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाते हुए) पारित किया।
न्यायालय ने राज्य सरकार केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, एसपी करौली और पीड़िता को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
याचिकाकर्ता-एसोसिएशन की ओर से वकील दीपक चौहान ने भी हाईकोर्ट का ध्यान कथित घटना से संबंधित समाचार पत्रों में प्रकाशित लेखों की ओर आकर्षित किया और कहा कि इस मुद्दे को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ प्रिंट मीडिया में भी बहुत सनसनीखेज तरीके से कवर किया जा रहा है, जिससे आम लोगों की नजर में न्यायपालिका की छवि खराब हो रही है।
ऐसे लेखों की विषय-वस्तु को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि वह इस तथ्य से आंखें मूंद नहीं सकता कि कथित घटना की रिपोर्टिंग देशभर के मीडिया में हो रही है और न्यायपालिका की छवि दांव पर लगी है।
मामले में जांच चल रही है और कई कानूनी पहलुओं पर अभी विचार किया जाना बाकी है, इसलिए प्रेस या मीडिया की स्वतंत्रता पर कोई टिप्पणी/टिप्पणी किए बिना यह न्यायालय इस बात पर विचार कर रहा है कि मीडिया में इस मामले की कवरेज पर उचित अंकुश लगाया जाना चाहिए।
न्यायालय ने आगे टिप्पणी करते हुए मीडिया को निर्देश दिया कि रिट लंबित रहने तक मामले को सनसनीखेज तरीके से कवर न किया जाए, क्योंकि इससे लोगों के बीच न्यायपालिका की छवि धूमिल और बदनाम होगी।
यह मामला पिछले महीने तब प्रकाश में आया जब कथित बलात्कार पीड़िता ने 30 मार्च को शिकायत दर्ज कराई कि संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसके घाव देखने के लिए उसे कपड़े उतारने के लिए कहा था।
पीड़िता ने कपड़े उतारने से इनकार किया और न्यायालय में बयान दर्ज कराने के बाद उसने उक्त मजिस्ट्रेट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायत के बाद, संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (ए) और 354 (बी) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(डब्ल्यू), 3(2)(वीए) और 3(2)(सप्तम) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

