स्वस्थ पति पत्नी के भरण-पोषण से नहीं बच सकता: राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला
Amir Ahmad
13 Sept 2025 12:57 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण-पोषण के मामले में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सक्षम और स्वस्थ पति से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपनी पत्नी का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त कमाई कर सकता है। कोई पति यह दलील नहीं दे सकता कि वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है।
यह टिप्पणी जस्टिस संजय कुमार व्यास ने भरण-पोषण की राशि बढ़ाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की। फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता पत्नी को प्रतिमाह 4,000 रुपये का भरण-पोषण देने का आदेश दिया, जिसे बढ़ाने के लिए उसने हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता पत्नी ने दावा किया कि उसके पति के पास 45 बीघा पैतृक संपत्ति है। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है। इस जमीन से वह सालाना करीब 9 लाख रुपये कमाता है। इसके अलावा, वह अनुबंध पर अन्य जमीन से सालाना 2.5 लाख रुपये और फाइनेंस के काम से प्रतिमाह 20,000 रुपये कमाता है। इस तरह, उसकी कुल मासिक आय लगभग 1.15 लाख रुपये है। पत्नी ने कहा कि वह खुद कोई काम नहीं करती और उसका किराया भी उसके माता-पिता देते हैं। उसने भरण-पोषण की राशि बढ़ाकर 13,200 रुपये प्रतिमाह करने की मांग की थी।
इसके विपरीत पति ने तर्क दिया कि उसके पिता के पास केवल 8 बीघा जमीन है, जिसमें से 3 बीघा पैतृक संपत्ति है और उससे सालाना आय केवल 75,000 रुपये है।
दोनों पक्षकारों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि पति की पर्याप्त आय है। वह एक कंडक्टर के रूप में 10,000 रुपये प्रतिमाह कमा रहा है और पैतृक संपत्ति से भी उसकी कुछ कमाई हो रही है।
कोर्ट ने कहा,
"पति की कमाई करने की क्षमता और उसकी वास्तविक कमाई 10,000 रुपये (कंडक्टर के रूप में) और पैतृक कृषि संपत्ति से अतिरिक्त 10,000 रुपये होने से इनकार नहीं किया जा सकता। एक स्वस्थ पति से यह भी माना जाता है कि वह अपनी पत्नी का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त पैसा कमाने में सक्षम है और वह यह रुख नहीं ले सकता कि वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने की स्थिति में नहीं है।"
इन तथ्यों और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पत्नी की कोई आय नहीं है, कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया और भरण-पोषण की राशि को बढ़ाकर 7,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया।

