गैर-योग्य विषय पढ़ाने के लिए शिक्षक को मजबूर करना बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट
Amir Ahmad
31 May 2025 5:09 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ग्रेड III शिक्षक (सामाजिक विज्ञान) का तबादला रद्द कर दिया जिनका विषय बदलकर अंग्रेजी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी शिक्षक को ऐसा विषय पढ़ाने के लिए मजबूर किया जाए, जिसमें वह योग्य नहीं है तो उसे विभागीय कार्रवाई जैसे प्रतिकूल नागरिक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस सनीप शाह की खंडपीठ ने यह भी कहा कि शिक्षक का यह तबादला छात्रों को एक योग्य शिक्षक से पढ़ने के अधिकार से वंचित कर देगा, जो संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत उनके शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
अपीलकर्ता को वर्ष 2006 में ग्रेड III शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया, जिसमें कोई विषय निर्दिष्ट नहीं था। ग्रेजुएट के दौरान उनकी ऐच्छिक विषय इतिहास और अर्थशास्त्र थे, जबकि अंग्रेजी अनिवार्य विषय था, इसलिए उन्हें सामाजिक विज्ञान का विषय सौंपा गया।
2019 में स्टाफ पैटर्न में बदलाव करते समय उन्हें अधिशेष घोषित कर दिया गया और अंग्रेजी शिक्षक मानकर दो बार तबादला कर दिया गया। उन्होंने राज्य को कई बार इस गलत विषय वर्गीकरण पर आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।
उन्होंने कोर्ट में अपील करते हुए दलील दी कि 2016 में प्राथमिक शिक्षा निदेशक, बीकानेर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी शिक्षक को केवल उसी ऐच्छिक विषय का शिक्षक माना जाएगा जिसे उसने स्नातक में पढ़ा हो, अनिवार्य विषय का नहीं।
कोर्ट ने माना कि इस विशेष मामले में तबादला आदेश दंडात्मक प्रभाव डालता है और विधिक दुर्भावना से प्रेरित है। कोर्ट ने दिशा-निर्देशों के साथ-साथ राजस्थान पंचायती राज नियमावली और राजस्थान एजुकेशनल सर्विसेज रूल्स 2021 का हवाला देते हुए कहा कि अपीलकर्ता को ऐसे स्थान पर नहीं तैनात किया जा सकता जहां उसे ऐसा विषय पढ़ाना पड़े जिसमें वह योग्य नहीं है।
अतः कोर्ट ने न केवल तबादला आदेश को रद्द किया बल्कि एकल पीठ द्वारा दिया गया निर्णय भी निरस्त कर दिया। राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि अपीलकर्ता को उसी स्थान या समीप के स्थान पर तैनात किया जाए जहां वह सामाजिक विज्ञान पढ़ा सके।

