राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला: पति की गैरमौजूदगी में मां द्वारा नोटिस ठुकराने के आधार पर पत्नी को दिया गया एकतरफा तलाक अमान्य
Amir Ahmad
6 Oct 2025 1:57 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर न्यायालय का नोटिस स्वयं संबंधित व्यक्ति या उसके अधिकृत प्रतिनिधि के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ठुकराया जाता है तो उसे कानूनी रूप से वैध अस्वीकार नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उस मामले में आई, जिसमें फैमिली कोर्ट ने पत्नी को यह मानते हुए एकपक्षीय तलाक (एक्स-पार्टी डिवोर्स) दे दिया कि पति को भेजा गया नोटिस उसकी मां ने ठुकरा दिया था।
जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस संदीप तनेजा की खंडपीठ पति की अपील पर सुनवाई कर रही थी। पति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए नोटिस को ठुकरा दिया गया, इसलिए नोटिस की सेवा पूरी मानी गई।
हाईकोर्ट ने कहा,
“नोटिस की सेवा तब ही पर्याप्त मानी जा सकती है, जब उसका अस्वीकार स्वयं नोटिस प्राप्त करने वाले व्यक्ति (नोटिसी) या उसके एजेंट द्वारा किया गया हो। किसी अन्य व्यक्ति, चाहे वह माता-पिता ही क्यों न हों, द्वारा किया गया अस्वीकार कानूनी दृष्टि से वैध नहीं है।”
अदालत ने पाया कि डाक से भेजे गए लिफाफे पर केवल रिफ्यूज़ल लिखा था, पर यह स्पष्ट नहीं था कि अस्वीकार किसने किया।
प्रोसेस सर्वर की रिपोर्ट में यह दर्ज है कि पति की मां ने कहा कि उनका बेटा शहर से बाहर है। वह यह लिफाफा स्वीकार नहीं करेंगी, क्योंकि यह अदालत से संबंधित है।
अदालत ने कहा कि यह पति की ओर से अस्वीकार नहीं माना जा सकता, क्योंकि नोटिस न तो पति को सौंपा गया था और न ही यह साबित हुआ कि मां को उसके एजेंट के रूप में अधिकृत किया गया।
हाईकोर्ट ने कहा कि पोस्टमैन के हस्ताक्षर से यह स्पष्ट है कि छह बार पते पर जाकर नोटिस देने की कोशिश की गई, जिससे यह सिद्ध होता है कि पति उस समय घर पर नहीं था। इसलिए रिफ्यूज़ल लिखे जाने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि नोटिस की वैध सेवा हुई।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले Gujarat Electricity Board vs Atmaram Suhomal Poshani का हवाला देते हुए कहा कि रजिस्टर्ड डाक के जरिये भेजे गए पत्र के लौटने पर रिफ्यूज़ल लिखे होने की स्थिति में सेवा का अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन यह अनुमान तब खत्म हो जाता है, जब सामने वाला पक्ष यह सिद्ध कर दे कि नोटिस उसे या उसके एजेंट को कभी सौंपा ही नहीं गया।
अदालत ने पाया कि पति ने यह साबित कर दिया कि न तो नोटिस उसे मिला और न ही उसकी मां उसके एजेंट के रूप में अधिकृत थी।
ऐसे में फैमिली कोर्ट द्वारा नोटिस को सेवा पूरी मानकर एकतरफा तलाक देना कानूनी रूप से गलत था।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने एकपक्षीय तलाक का आदेश रद्द करते हुए मामला दोबारा सुनवाई के लिए लौटा दिया।

