उच्च शिक्षण संस्थान अदला-बदली योग्य नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने चुनावों में यूनिवर्सिटी के उपयोग पर ECI को जारी किए दिशा-निर्देश

Amir Ahmad

20 Dec 2025 12:46 PM IST

  • उच्च शिक्षण संस्थान अदला-बदली योग्य नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट ने चुनावों में यूनिवर्सिटी के उपयोग पर ECI को जारी किए दिशा-निर्देश

    राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले यूनिवर्सिटी और कॉलेज फंजिबल यानी आसानी से बदले जा सकने वाले संसाधन नहीं हैं। अदालत ने निर्वाचन आयोग (ECI) को निर्देश दिए कि जहां तक व्यावहारिक रूप से संभव हो आम चुनावों के दौरान यूनिवर्सिटी और कॉलेजों का उपयोग मतदान केंद्र, मतगणना स्थल या अन्य चुनावी उद्देश्यों के लिए न किया जाए।

    जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब अदालत के समक्ष शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने के कथित राज्य सरकार के निष्क्रिय रवैये को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी। अदालत ने याचिकाओं को लोकस स्टैंडी के अभाव और समय से पूर्व दायर होने के आधार पर खारिज कर दिया लेकिन साथ ही भविष्य में छात्रसंघ चुनावों को लेकर सभी हितधारकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए।

    अदालत ने कहा कि आम चुनावों का आयोजन संविधान की अनिवार्यता है, लेकिन इसे उच्च शिक्षण संस्थानों में अकादमिक गतिविधियों में अत्यधिक और असंगत व्यवधान की कीमत पर पूरा नहीं किया जा सकता विशेषकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान रखे गए तर्कों का उल्लेख करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी कैंपस को बार-बार और लंबे समय तक चुनावी प्रक्रियाओं में झोंकना न केवल शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित करता है, बल्कि कैंपस को अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण की ओर भी ले जाता है, जिससे छात्रों का ध्यान उनके मूल उद्देश्य शिक्षा से भटकता है।

    कोर्ट ने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि संसद विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ECI और संबंधित प्रशासनिक एजेंसियां नियमित रूप से यूनिवर्सिटी और सरकारी कॉलेजों के बुनियादी ढांचे का उपयोग करती हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य-वित्तपोषित यूनिवर्सिटी और उनसे संबद्ध सरकारी कॉलेज विशिष्ट अकादमिक पारिस्थितिकी तंत्र हैं जो केवल शिक्षण, शोध, नवाचार और छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए बनाए गए हैं। ऐसे संस्थानों का ढांचा अदला-बदली योग्य नहीं है> एक बार शैक्षणिक निरंतरता बाधित होने पर विशेषकर सेमेस्टर प्रणाली में छात्रों को होने वाली क्षति की भरपाई संभव नहीं हो पाती।

    इसी पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग और संबंधित नागरिक प्रशासन को निर्देश दिए कि भविष्य में जहां तक संभव हो, उच्च शिक्षा संस्थानों को चुनावी उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित न किया जाए, यदि इससे पढ़ाई, परीक्षाएं, शोध गतिविधियां या अकादमिक प्रशासन प्रभावित होने की आशंका हो। अदालत ने यह भी कहा कि चुनावों के लिए सामुदायिक भवनों, सरकारी कार्यालयों या अन्य सार्वजनिक ढांचों जैसे वैकल्पिक स्थलों की व्यवस्था पहले से विकसित की जाए और चुनावी योजना बनाते समय यूनिवर्सिटी व कॉलेजों के अकादमिक कैलेंडर को ध्यान में रखा जाए, ताकि शैक्षणिक गतिविधियों में न्यूनतम हस्तक्षेप हो।

    अदालत ने स्पष्ट किया कि ये दिशानिर्देश व्यापक जनहित में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और संवैधानिक शासन तथा अकादमिक अखंडता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए जारी किए गए हैं। न्यायालय ने कहा कि इन निर्देशों का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को बार-बार शिक्षण घंटों, शैक्षणिक निरंतरता और आवश्यक शिक्षण संसाधनों से वंचित न होना पड़े, क्योंकि यही शिक्षा के अधिकार का मूल आधार है।

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