राजस्थान हाइकोर्ट ने फिजिकल टेस्ट में गलत लंबाई मापने के कारण कांस्टेबल भर्ती से बाहर की गई महिला की उम्मीदवारी बहाल की, मुआवजे का आदेश दिया

Amir Ahmad

2 April 2024 9:25 AM GMT

  • राजस्थान हाइकोर्ट ने फिजिकल टेस्ट में गलत लंबाई मापने के कारण कांस्टेबल भर्ती से बाहर की गई महिला की उम्मीदवारी बहाल की, मुआवजे का आदेश दिया

    कांस्टेबल भर्ती के तहत फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला उम्मीदवार की लंबाई गलत मापने की गलती करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को भुगतान करने के लिए राज्य पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

    जस्टिस गणेश राम मीणा की एकल पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों के कृत्य के कारण याचिकाकर्ता उम्मीदवार को बहुत मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी का खर्च उठाना पड़ा। ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय ने प्रतिवादियों पर भारी जुर्माना लगाना उचित समझा।

    जयपुर स्थित पीठ ने आदेश में कहा,

    "इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने की तिथि से एक माह की अवधि के भीतर प्रतिवादियों द्वारा लागत की राशि का भुगतान डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाना चाहिए।"

    याचिकाकर्ता ने पहले प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से उसकी ऊंचाई 152 सेमी से कम होने के कारण उसे फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट (PST) में अवैध रूप से अयोग्य घोषित कर दिया गया। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने पिछली भर्ती प्रक्रियाओं में भी भाग लिया था।

    वर्ष 2021 में उसकी ऊंचाई 152.1 सेमी मापी गई। वर्ष 2022 में प्रतिवादियों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान उसकी ऊंचाई 152 सेमी बताई। पिछले वर्षों में एक ही व्यक्ति की ऊंचाई माप में असमानताओं को ध्यान में रखते हुए राजस्थान हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता को ऊंचाई माप के लिए एम्स जोधपुर के अधीक्षक द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।

    यह वचनबद्धता के अधीन है कि यदि उसकी ऊंचाई 152 सेमी से कम पाई जाती है तो उम्मीदवार 25,000 रुपये का जुर्माने का भुगतान करेगा। मेडिकल बोर्ड द्वारा किए गए माप में उसकी ऊंचाई 152 सेमी से अधिक यानी 152.3 सेमी पाई गई।

    अदालत ने निष्कर्ष निकाला,

    तथ्यों से यह भी स्पष्ट है कि प्रतिवादियों ने पीएसटी टेस्ट के दौरान याचिकाकर्ता की ऊंचाई गलत तरीके से 152 सेमी से कम मापी। याचिकाकर्ता ने एम्स, जोधपुर के मेडिकल बोर्ड द्वारा उसकी ऊंचाई मापने के लिए 25,000 रुपये का खर्च उठाने का जोखिम उठाया।”

    कांस्टेबल (सामान्य)/ड्राइवर/बैंड/घुड़सवार/डॉग स्क्वायड/पुलिस दूरसंचार) के पद पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित करने वाले दिनांक 03.08.2023 के विज्ञापन के आधार पर याचिकाकर्ता ने 14.08.2023 को इसके लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। दिनांक 03.08.2023 के विज्ञापन के खंड 7 के उप-खंड VII में कहा गया कि महिला उम्मीदवारों के लिए पीएसटी के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए 152 सेमी की अपेक्षित ऊंचाई निर्धारित की गई।

    याचिकाकर्ता ओपन कैटेगरी से भर्ती प्रक्रिया में भाग ले रहा था। शारीरिक दक्षता परीक्षण और शारीरिक मानक परीक्षण 27.12.2023 को आयोजित किया गया।

    इस मामले में राज्य अधिकारियों की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। हालांकि अदालत ने प्रतिवादियों की प्रतीक्षा किए बिना मामले को शीघ्रता से तय करना उचित समझा।

    जस्टिस गणेश राम मीणा ने अन्य नोट पर हाल ही में अन्य मामले में देखा कि जिन मामलों में राज्य संबंधित पक्षों में से एक है, उनमें राज्य की ओर से प्रतिनिधित्व की कमी चिंताजनक है। पिछले दो महीनों में कई मामलों को स्थगित कर दिया गया, क्योंकि राज्य के वकील द्वारा कोई प्रतिनिधित्व नहीं किया गया।

    केस टाइटल- सपना बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।

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