'वकील की नेकनीयती से की गई गलती के लिए वादी को नहीं भुगतना चाहिए': राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रतिवादी को नोटिस न देने के कारण खारिज की गई अपील बहाल की
Amir Ahmad
30 Nov 2024 11:56 AM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कभी-कभी वादी के वकील द्वारा प्रतिवादी को अपेक्षित नोटिस न देने के कारण नेकनीयती से गलती की जा सकती है। हालांकि अति-तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने और मामले को खारिज करने के बजाय न्यायोचित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में माना है कि वकील की गलती के लिए वादियों को कष्ट नहीं दिया जा सकता।
न्यायालय राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) के आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें ट्रिब्यूनल ने प्रतिवादियों को दिए जाने वाले अपेक्षित नोटिस दाखिल करने में वकील की चूक के कारण अभियोजन की कमी के कारण याचिकाकर्ताओं की अपीलों को खारिज कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ट्रिब्यूनल ने मामले की योग्यता से संतुष्ट होने पर उनके पक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया और केवल वकील की ओर से सद्भावनापूर्ण विफलता या अनजाने में हुई चूक के कारण ट्रिब्यूनल द्वारा अपीलों को खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं के तर्क के साथ तालमेल बिठाते हुए न्यायालय ने माना कि ट्रिब्यूनल द्वारा वकील द्वारा नोटिस प्रस्तुत करने में विफलता के कारण पहली बार में अपीलों को खारिज करना उचित नहीं था।
“कभी-कभी सद्भावनापूर्ण गलती के कारण अपीलकर्ता के वकील अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत करने में चूक सकते हैं लेकिन ट्रिब्यूनल को अति-तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने के बजाय न्यायोचित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया गया और याचिकाकर्ताओं को ट्रिब्यूनल के कार्यालय के समक्ष एक सप्ताह के भीतर नोटिस दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: अजीत सिंह राठौर बनाम राजस्थान राज्य और अन्य तथा अन्य संबंधित याचिका