राजस्थान हाइकोर्ट ने हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत 15 वर्ष की आयु सीमा पार करने के बाद गोद लिए गए बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने से किया इनकार

Amir Ahmad

7 Jun 2024 3:26 PM GMT

  • राजस्थान हाइकोर्ट ने हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत 15 वर्ष की आयु सीमा पार करने के बाद गोद लिए गए बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने से किया इनकार

    राजस्थान हाइकोर्ट ने हाल ही में सरकारी कर्मचारी के दत्तक पुत्र द्वारा दायर अनुकंपा नियुक्ति की याचिका खारिज की। उक्त याचिका में हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत गोद लेने के प्रावधानों का पालन न करने का हवाला दिया गया था।

    याचिकाकर्ता को 18 वर्ष की आयु में गोद लिया गया था। धारा 10(iv) HAMA के अनुसार पंद्रह वर्ष की आयु पूरी कर चुके व्यक्ति को तब तक गोद नहीं दिया जा सकता, जब तक कि प्रथा लागू न हो।

    जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि रजिस्टर्ड दत्तक विलेख के पक्ष में अधिनियम की धारा 16 के तहत अनुमान याचिकाकर्ता के लिए कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि प्रावधान को धारा 10 के साथ सामंजस्य में पढ़ा जाना चाहिए।

    पीठ ने टिप्पणी की,

    "इसमें कोई संदेह नहीं है कि धारा 16 के तहत जैविक माता-पिता के पक्ष में अनुमान लगाया गया है, लेकिन उक्त अनुमान धारा 10 (iv) की आवश्यकता के अनुपालन में होना चाहिए। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता के प्रमाण पत्र (अनुलग्नक 1) से यह पता चलता है कि 13.12.2013 को गोद लेने के समय उसकी आयु 18 वर्ष थी। याचिकाकर्ता का मामला यह भी नहीं है कि कोई विशेष प्रथा है, जो किसी बच्चे को उसकी आयु की परवाह किए बिना गोद लेने की अनुमति देती है।”

    अपने पिता की मृत्यु के बाद, जो शिक्षक ग्रेड III के रूप में कार्यरत थे, याचिकाकर्ता ने दत्तक विलेख के साथ अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। प्रतिवादी विभाग ने यह आरोप लगाते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि दत्तक-ग्रहण विलेख अवैध था। साथ ही अधिनियम की धारा 10(iv) के अनुसार दत्तक-ग्रहण स्वयं अवैध था।

    याचिकाकर्ता के वकील ने मोहन सिंह भाटी बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य के मामले का हवाला दिया, जहां प्राधिकारी द्वारा अनुकंपा नियुक्ति से इनकार किया गया, क्योंकि दत्तक-ग्रहण अधिनियम के अनुसार नहीं था। लेकिन न्यायालय ने धारा 16 के तहत अनुमान को उजागर किया और दत्तक-ग्रहण के अवैध होने के तर्क को खारिज कर दिया।

    तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि मोहन सिंह भाटी का निर्णय कुमारी विनीता शर्मा बनाम भारत संघ में खंडपीठ के निर्णय के आलोक में उचित है, जहां अनुकंपा नियुक्ति के लिए याचिका खारिज करने का कारण अधिनियम की धारा 10(iv) था। याचिकाकर्ता की आयु दत्तक-ग्रहण के समय 25 वर्ष थी, इसलिए धारा 16 के तहत अनुमान के बावजूद मामले में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की गई।

    इस पृष्ठभूमि में हाइकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल- नरेंद्र सिंह बनाम राजस्थान राज्य, माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं अन्य।

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