राज्य और निजी नियोक्ताओं को दोषी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई 6 महीने के भीतर पूरी करने का प्रयास करना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
Amir Ahmad
12 Feb 2025 6:47 AM

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि प्रत्येक नियोक्ता, चाहे वह राज्य हो या निजी, उसको अपने कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच उचित समय अवधि के भीतर पूरी करने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए, अधिमानतः 6 (छह) महीने के भीतर बाहरी सीमा के रूप में और यदि अपरिहार्य कारणों से यह संभव नहीं है, तो जांच के कारण और प्रकृति के आधार पर उचित विस्तारित अवधि के भीतर।
जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2011 में जारी किए गए आरोप पत्र के संबंध में जांच रिपोर्ट 2014 में वापस प्रस्तुत की गई। आज तक अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया। दोषी कर्मचारी-याचिका भी याचिका के लंबित रहने के दौरान 2025 में रिटायर हो गई।
इसे राज्य संस्थाओं की ओर से लापरवाही का ज्वलंत उदाहरण और चौंकाने वाली स्थिति मानते हुए न्यायालय ने राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील), नियम 1958 का हवाला दिया, जिसमें अनुशासनात्मक प्राधिकारी से जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के तुरंत बाद अंतिम आदेश पारित करने की अपेक्षा की गई। न्यायालय ने आगे प्रेम नाथ बाली बनाम रजिस्ट्रार, दिल्ली हाईकोर्ट और अन्य के मामले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नियोक्ता के कर्तव्य पर प्रकाश डाला कि वह प्राथमिकता के आधार पर कम से कम समय में कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच का निष्कर्ष सुनिश्चित करे, खासकर अगर कर्मचारी निलंबित हो।
न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला,
“इस न्यायालय ने बार-बार अनुभव किया कि जांच पूरी होने के बाद इसमें शामिल मुद्दा समाप्त नहीं होता, क्योंकि यदि जांच कार्यवाही के निष्कर्ष दोषी कर्मचारी के खिलाफ जाते हैं तो वह हमेशा अपनी शिकायत को व्यक्त करने के लिए न्यायालय में मुद्दे को आगे बढ़ाता है, जिससे अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने में समय लगता है।”
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक सार्वजनिक या निजी नियोक्ता को अपने कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच को 6 महीने की बाहरी सीमा के भीतर और यदि संभव न हो तो जांच के कारण और प्रकृति के आधार पर उचित विस्तारित अवधि के भीतर समाप्त करने का ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए।
न्यायालय ने राजस्थान राज्य के सचिव को सभी राज्य विभागों को कम से कम संभव समय अवधि में विभागीय जांच समाप्त करने के लिए एक सिस्टम तैयार करने का निर्देश देने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: सरदार मल यादव बनाम राज्य प्रारंभिक शिक्षा और अन्य।