मासिक धर्म के कारण होने वाली एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना अस्वीकार्य: राजस्थान हाईकोर्ट

Amir Ahmad

23 May 2025 11:55 AM IST

  • मासिक धर्म के कारण होने वाली एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना अस्वीकार्य: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने उस याचिकाकर्ता को राहत दी, जिसे सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) के तहत बीएससी (नर्सिंग) में एडमिशन नहीं दिया गया जबकि वह योग्य थी। उसे उस समय भारी मासिक धर्म के कारण हीमोग्लोबिन कम पाए जाने पर अनफिट घोषित किया गया।

    जस्टिस अनुप कुमार ढांड ने कहा,

    “याचिकाकर्ता जैसी किसी भी लड़की की स्वास्थ्य स्थिति विशेषकर जब हीमोग्लोबिन स्तर मासिक धर्म के भारी रक्तस्राव के कारण कम पाया गया हो, उसकी शिक्षा प्राप्ति में बाधा नहीं बननी चाहिए। मासिक धर्म को किसी भी लड़की की शिक्षा के लिए बाधा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। मासिक धर्म के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य कारणों के आधार पर शिक्षा से इनकार करना अस्वीकार्य है।”

    याचिकाकर्ता ने बीएससी (नर्सिंग) पाठ्यक्रम के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया पास की थी लेकिन मेडिकल परीक्षा में विशेष मेडिकल बोर्ड ने उसे एनीमिया के लिए अनफिट घोषित किया। उसने अपीलीय मेडिकल बोर्ड के समक्ष अपील की, जहां 24 घंटे के भीतर पुनः परीक्षण किया गया और वही निष्कर्ष दिया गया।

    इसके बाद याचिका कोर्ट में दायर की गई। कोर्ट के आदेश पर एक रिव्यू मेडिकल बोर्ड का गठन हुआ, जिसने याचिकाकर्ता की पुनः जांच की और उसे फिट घोषित किया।

    राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि 18 उम्मीदवारों को हीमोग्लोबिन स्तर कम होने के कारण अनफिट पाया गया और किसी भी रिव्यू मेडिकल परीक्षण का कोई प्रावधान नहीं था। यदि याचिकाकर्ता को प्रवेश दिया जाता है तो यह अन्य उम्मीदवारों के अधिकारों को प्रभावित करेगा।

    कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने और रिकॉर्ड की जांच करने के बाद कहा कि एनीमिया कोई स्थायी बीमारी नहीं है। यह एक अस्थायी रक्त विकार है, जिसकी तीव्रता व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न होती है। मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव (Menorrhagia) सामान्य स्थिति है, जिससे भारत में लगभग 10-15% महिलाएं सालाना प्रभावित होती हैं।

    इस पृष्ठभूमि में कोर्ट ने कहा,

    “उत्तरदाताओं के मेडिकल एक्सपर्ट द्वारा प्रदान की गई रिव्यू मेडिकल राय और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता की बीमारी अस्थायी थी। उत्तरदाताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे इस मामले में सहानुभूतिपूर्ण और उदार दृष्टिकोण अपनाएं सभी रायों में रिव्यू मेडिकल बोर्ड की राय सर्वोपरि होगी, क्योंकि उसने याचिकाकर्ता को एनीमिया के लिए फिट घोषित किया।”

    कोर्ट ने यह भी कहा कि मासिक धर्म को किसी लड़की की शिक्षा में बाधा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और इस आधार पर शिक्षा से वंचित करना अस्वीकार्य है।

    राज्य का यह तर्क भी कोर्ट ने खारिज कर दिया कि यदि बाकी 17 उम्मीदवारों ने अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं किया तो याचिकाकर्ता को प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।

    यह मानते हुए कि याचिकाकर्ता को रिव्यू मेडिकल बोर्ड द्वारा फिट घोषित किया गया, राज्य को निर्देश दिया गया कि उसे बीएससी (नर्सिंग) में प्रवेश दिया जाए।

    केस टाइटल: साक्षी चौधरी बनाम भारत संघ एवं अन्य

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