लिव-इन रिश्ते में रह रहे बालिग जोड़े को संरक्षण का अधिकार, भले ही युवक 21 वर्ष से कम हो: राजस्थान हाईकोर्ट

Amir Ahmad

9 Dec 2025 3:29 PM IST

  • लिव-इन रिश्ते में रह रहे बालिग जोड़े को संरक्षण का अधिकार, भले ही युवक 21 वर्ष से कम हो: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि यदि महिला और पुरुष दोनों बालिग हैं तथा आपसी सहमति से लिव-इन संबंध में रह रहे हैं, तो उन्हें पुलिस संरक्षण पाने का पूरा अधिकार है, भले ही युवक की आयु 21 वर्ष से कम हो।

    जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक द्वारा दायर याचिका पर पारित किया।

    याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवारजनों से जान के खतरे की आशंका जताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।

    मामले में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे विवाह करना चाहते हैं, किंतु युवक की उम्र 21 वर्ष पूरी न होने के कारण फिलहाल वे लिव-इन संबंध में रह रहे हैं।

    युवती के परिजन उनके इस निर्णय से सहमत नहीं हैं और दोनों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने पुलिस के नोडल अधिकारी के समक्ष सुरक्षा हेतु आवेदन भी दिया, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।

    राज्य की ओर से यह तर्क दिया गया कि युवक की विवाह योग्य आयु पूरी न होने के कारण ऐसे लिव-इन संबंध को अनुमति नहीं दी जा सकती।

    अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती निर्णयों का उल्लेख किया। लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि दो बालिग व्यक्तियों के बीच सहमति से बना लिव-इन संबंध किसी भी प्रकार का अपराध नहीं है।

    इसके अतिरिक्त नंदकुमार व अन्य बनाम केरल राज्य मामले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यदि दो बालिगों के बीच विवाह हो और युवक की आयु 21 वर्ष से कम भी हो, तो ऐसा विवाह शून्य नहीं बल्कि केवल शून्यकरणीय होता है। साथ ही, कानून स्वयं लिव-इन संबंध को मान्यता देता है। ऐसे जोड़ों को विवाह के बिना भी साथ रहने का अधिकार है।

    न्यायालय ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। राजस्थान पुलिस अधिनियम, 2007 की धारा 29 के अनुसार प्रत्येक पुलिस अधिकारी नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए बाध्य है।

    अदालत ने टिप्पणी की,

    “दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं और लिव-इन संबंध में रहने का उनका निर्णय कानूनन अपराध नहीं है। ऐसे में उन्हें विरोध करने वाले लोगों के रहमोकरम पर नहीं छोड़ा जा सकता। पुलिस का दायित्व है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।”

    न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि चूंकि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही नोडल अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर दिया है, अतः नोडल अधिकारी को उनके आवेदन पर कानून के अनुसार शीघ्र निर्णय लेना होगा। खतरे की आशंका का मूल्यांकन करने के बाद यदि आवश्यक हो, तो उन्हें समुचित सुरक्षा उपलब्ध कराने के आदेश भी जारी करने होंगे।

    इन निर्देशों के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया गया।

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