बैंक अकाउंट फ्रीज़ करने से पहले सतर्क रहें: DGP ने जारी की गाइडलाइन, राजस्थान हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने दी जानकारी

Amir Ahmad

13 Sept 2025 3:34 PM IST

  • बैंक अकाउंट फ्रीज़ करने से पहले सतर्क रहें: DGP ने जारी की गाइडलाइन, राजस्थान हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने दी जानकारी

    राजस्थान हाईकोर्ट में यह सवाल उठने पर कि क्या केवल पुलिस (जांच एजेंसी) के पत्र के आधार पर बिना CrPC की धारा 102 की प्रक्रिया अपनाए किसी का बैंक खाता फ्रीज़ किया जा सकता है राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि अब इस संबंध में दिशानिर्देश तैयार कर दिए गए।

    राज्य ने जानकारी दी कि DGP (साइबर क्राइम) ने 09 मई, 2025 को छह बिंदुओं वाली गाइडलाइन जारी की, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए सभी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस और एसीपी को आदेश दिया गया कि वे जांच एजेंसियों को बैंक अकाउंट फ्रीज़ करने संबंधी पत्र जारी करते समय सतर्क रहने के लिए निर्देशित करें।

    एडवोकेट जनरल और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की ओर से कहा गया कि राज्य में इन गाइडलाइनों को लागू कर दिया गया और हर मामले में पालन किया जा रहा है। साथ ही यह भी बताया गया कि अन्य राज्यों से आने वाली शिकायतों पर गृह मंत्रालय राष्ट्रव्यापी एसओपी (SOP) तैयार करने की प्रक्रिया में है।

    राज्य ने यह भी दलील दी कि ऐसे मामलों में RBI आवश्यक पक्षकार है, क्योंकि बैंकिंग प्रणाली पर उसका नियंत्रण है और उसका पक्ष लेना भी ज़रूरी है।

    जस्टिस अनुप कुमार धंध की पीठ ने इस मुद्दे पर पहले ही वकील समुदाय से राय मांगी थी। सुनवाई के दौरान वकील ने अदालत को बताया कि झारखंड हाईकोर्ट में भी ऐसा ही मामला आया था, जहां राज्य ने बताया कि SOP लगभग अंतिम चरण में है।

    अदालत ने कहा,

    “मामले के तथ्यों को देखते हुए रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देशित किया जाता है कि इस प्रकरण को अक्टूबर, 2025 के पहले सप्ताह में पुनः सूचीबद्ध किया जाए और वकीलों को आमंत्रित किया जाए ताकि वे इस मुद्दे पर अदालत की सहायता कर सकें।”

    यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें एक कचौरी बेचने वाले ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को अपना खाता डी-फ्रीज़ करने का निर्देश देने की मांग की थी।

    राज्य ने तर्क दिया कि तेलंगाना पुलिस एक साइबर क्राइम की जांच कर रही है, जिसमें करोड़ों रुपये गबन होने का आरोप है और कथित तौर पर याचिकाकर्ता के खाते में लेनदेन पाए गए।

    अदालत ने पाया कि अब तक कोई भी सामग्री यह नहीं दर्शाती कि याचिकाकर्ता इस अपराध में शामिल है। ऐसे में हाईकोर्ट ने उसके खाते को डी-फ्रीज़ करने का आदेश दिया और याचिका का निपटारा कर दिया।

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