नकली दस्तावेज़ अदालत के साथ धोखा, मुकदमे का उद्देश्य सत्य की खोज: राजस्थान हाईकोर्ट ने सेल डीड की जांच का आदेश बरकररार रखा
Amir Ahmad
27 Nov 2025 12:43 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कि हर मुकदमा सत्य को उजागर करने की प्रक्रिया है और अदालत में झूठे दस्तावेज़ दाखिल करना न्यायालय के साथ धोखा है, एक कथित जाली सेल डीड की सत्यता की जांच कराने के आदेश को सही ठहराया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अदालत का मूल उद्देश्य सत्य की खोज है और जब सत्य विफल होता है न्याय भी विफल हो जाता है।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सत्य न्याय की नींव है, पूरा न्यायिक तंत्र वास्तविक सत्य को खोजने और स्थापित करने के लिए निर्मित किया गया। न्यायालय ने आगे कहा कि आम जनता के लिए सत्य और न्याय एक-दूसरे के पर्याय हैं और दोनों को अलग नहीं किया जा सकता।
पीठ उस याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें जिला जज के उस आदेश को चुनौती दी गई। इसमें वर्ष 2000 में किए गए कथित बिक्री अनुबंध की सत्यता की जांच कराने का निर्देश दिया गया। एक गवाह ने यह बयान दिया कि अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले दोनों व्यक्ति क्रमशः 1995 और 1990 में ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे जिससे दस्तावेज़ की वैधता पर गंभीर संदेह उत्पन्न हुआ।
न्यायालय ने कहा कि मुकदमे की प्रक्रिया सत्य की खोज की यात्रा है और अदालत को सक्रिय होकर सत्य की पहचान करनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई पक्षकार गढ़ा हुआ दस्तावेज़ अदालत में प्रस्तुत करता है तो यह न केवल गंभीर कदाचार है बल्कि न्यायालय के साथ धोखा है जिसके कानूनी परिणाम भी हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि केवल मौखिक कथन के आधार पर जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। किंतु हाईकोर्ट ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए कहा कि यदि रिकॉर्ड पर कोई तथ्य विवादित हो तो उसकी सत्यता जांच के माध्यम से ही सुनिश्चित की जानी चाहिए। जाली दस्तावेज़ अदालत में पेश करना कानून की गरिमा के प्रतिकूल है और इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि यदि कार्यवाही के दौरान कभी भी यह संकेत मिले कि कोई पक्षकार झूठा या जाली दस्तावेज़ प्रस्तुत कर रहा है तो न्यायालय का दायित्व बनता है कि वह सच का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दे।
अंततः हाईकोर्ट ने याचिका को बिना किसी योग्यता के पाते हुए खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए जांच के निर्देशों को सही ठहराया।

