डमी स्कूलों पर राजस्थान हाई कोर्ट का कड़ा रुख, SIT गठित करने का निर्देश
Amir Ahmad
19 Sept 2025 3:14 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने डमी स्कूलों पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह शिक्षा प्रणाली के लिए एक अभिशाप है। ये स्कूल स्टूडेंट को नीट (NEET) और जेईई (JEE) जैसी एडमिशन परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटरों में जाने की अनुमति देते हैं, जबकि कक्षा 9वीं से 12वीं तक उनकी नियमित उपस्थिति को फर्जी तरीके से दर्शाते हैं।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने राज्य और सभी शिक्षा बोर्डों को निर्देश दिया कि वे अचानक निरीक्षण के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करें।
कोर्ट ने इस समस्या से निपटने के लिए कई अहम निर्देश जारी किए:
SIT का गठन: राजस्थान सरकार और सभी बोर्डों को स्कूलों और कोचिंग सेंटरों का अचानक और औचक निरीक्षण करने के लिए SIT गठित करने का निर्देश दिया गया। यदि स्टूडेंट स्कूल के समय में स्कूल में अनुपस्थित और कोचिंग सेंटर में उपस्थित पाए जाते हैं तो सभी संबंधित पक्षों (स्कूल और कोचिंग सेंटर) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
अनिवार्य उपस्थिति: कोर्ट ने कहा कि अब CBSE और अन्य बोर्डों के लिए यह सही समय है कि वे सख्त उप-नियम बनाएं, जिसके तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी छात्रों के लिए कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य हो।
मान्यता रद्द करने का अधिकार: न्यायालय ने CBSE और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) को नियमित औचक निरीक्षण करने और स्टूडेंट व शिक्षकों की उपस्थिति कम पाए जाने पर स्कूलों की संबद्धता और मान्यता रद्द करने सहित उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि डमी स्कूलों का बढ़ना भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक गहरे संकट का लक्षण है, जिसकी जड़ें शिक्षा के व्यवसायीकरण और वस्तुकरण में हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यह प्रवृत्ति स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है, क्योंकि वे केवल एडमिशन एग्जाम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
कोर्ट ने माता-पिता में जागरूकता की कमी को इस खतरनाक प्रवृत्ति का कारण बताया। यह भी कहा कि हर बच्चा इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बन सकता, क्योंकि IIT और मेडिकल कॉलेजों में सीटें सीमित हैं। जो स्टूडेंट इन परीक्षाओं को पास नहीं कर पाते, उनके लिए कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं की नियमित पढ़ाई न करने के कारण ग्रेजुएशन के लिए अन्य कॉलेजों में एडमिशन लेना मुश्किल हो जाता है।
इस मामले में कोर्ट ने एक साल के लिए CBSE द्वारा दो स्कूलों की संबद्धता रद्द करने वाली याचिका को CBSE के पास वापस भेजा और उसे चार सप्ताह के भीतर सभी संबंधित मामलों की तुलना करके एक नया और उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने राज्य सरकार शिक्षा विभाग और सभी संबंधित बोर्डों से यह भी अपेक्षा की कि वे सभी स्कूलों में करियर काउंसलिंग केंद्र स्थापित करें ताकि स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता को सही मार्गदर्शन मिल सके।

