वन उपज के परिवहन के संबंध में राजस्थान वन अधिनियम की धारा 41 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन गैर-संज्ञेय अपराध: हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द की
Amir Ahmad
22 Jun 2024 1:51 PM IST
राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि वन उपज के परिवहन को विनियमित करने के लिए राजस्थान वन अधिनियम 1953 की धारा 41 के तहत राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के उल्लंघन के संबंध में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।
अधिनियम की धारा 42 में नियमों के उल्लंघन के लिए छह महीने तक के कारावास की सजा का प्रावधान है।
जस्टिस अनिल कुमार उपमन की पीठ ने मौसम खान बनाम राजस्थान राज्य और अन्य पर भरोसा किया, जहां समन्वय पीठ ने माना कि धारा 41 के तहत अपराध केवल अधिकृत/सक्षम अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज करके ही चलाया जा सकता है।
पीठ निरस्तीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता का मामला यह था कि राजस्थान वन अधिनियम, 1953 की धारा 42 तीन साल की अवधि से अधिक दंडनीय नहीं है। सीआरपीसी की अनुसूची-II के अनुसार कथित अपराधों को गैर-संज्ञेय अपराध माना जाएगा, जिसके लिए एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती।
इसके अलावा, संहिता की धारा 155(2) में यह प्रावधान है कि कोई भी पुलिस अधिकारी क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना गैर-संज्ञेय मामले की जांच नहीं करेगा।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने पाया कि एफआईआर संधारणीय नहीं है। इसे रद्द किया जाना चाहिए। तदनुसार, याचिका को अनुमति दी गई लेकिन न्यायालय ने कहा कि संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी को कानून के अनुसार शिकायत दर्ज करने की स्वतंत्रता होगी।
केस टाइटल- जितेंद्र गुप्ता बनाम राजस्थान राज्य