राजस्थान हाईकोर्ट ने 2018 से पहले स्थापित औद्योगिक प्रशिक्षण कॉलेजों से 50,000 रुपये की बैंक गारंटी की मांग संबंधी आदेश रद्द किया

Amir Ahmad

21 May 2025 4:50 PM IST

  • राजस्थान हाईकोर्ट ने 2018 से पहले स्थापित औद्योगिक प्रशिक्षण कॉलेजों से 50,000 रुपये की बैंक गारंटी की मांग संबंधी आदेश रद्द किया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITIs) द्वारा दायर 139 विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए एकल जज का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि 2018 शैक्षणिक सत्र से पहले स्थापित/मान्यता प्राप्त ITIs को भी प्रति इकाई 50,000 रुपये की प्रदर्शन बैंक गारंटी जमा करनी होगी।

    जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस चंद्र शेखर शर्मा की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। ये अपीलें उन ITIs द्वारा दायर की गई थीं, जो विभिन्न राज्यों में छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। अपीलों में एकल जज के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि सभी प्रशिक्षण संस्थानों को चाहे वे 2018 से पहले स्थापित हुए हों या बाद में बैंक गारंटी की शर्त का पालन करना होगा।

    4 सितंबर, 2024 को ITIs को पत्र जारी कर उनसे प्रति यूनिट 50,000 रुपये की बैंक गारंटी के रूप में सुरक्षा जमा करने को कहा गया था।

    याचिकाकर्ता-अपीलकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया और यह तर्क दिया कि केवल 2018 के बाद स्थापित ITIs पर ही यह शर्त लागू होती है और वे संस्थान जो 2018 से पहले स्थापित हुए थे, उनसे ऐसी कोई गारंटी नहीं मांगी जा सकती।

    हालांकि, एकल जज ने गुरु कृपा प्राइवेट ITI बनाम राज्य राजस्थान मामले का हवाला देते हुए इन याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा 2018 से पहले और बाद में स्थापित संस्थानों में किया गया अंतर सही नहीं है। उन्होंने यह कहा कि सभी संस्थानों पर गारंटी की शर्त समान रूप से लागू होती है।

    इसके विरुद्ध ITIs ने खंडपीठ में अपील की और तर्क दिया कि गुरु कृपा केस की गलत व्याख्या की गई।

    खंडपीठ ने गुरु कृपा केस की समीक्षा करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि उस निर्णय में तीन मुख्य निर्देश दिए गए

    1. सत्र 2014 से 2017 के बीच कवर किए गए कॉलेजों से बैंक गारंटी नहीं मांगी जा सकती।

    2. 2018 के बाद स्थापित या चालू हुए ITIs को बैंक गारंटी देनी होगी।

    3. 2018 से पहले स्थापित या मान्यता प्राप्त संस्थानों से बैंक गारंटी की मांग नहीं की जा सकती।

    इस आधार पर खंडपीठ ने कहा,

    "गुरु कृपा केस में निर्देश (i) और (iii) स्पष्ट और अस्पष्ट नहीं हैं। इसलिए यह स्पष्ट है कि 2018 से पहले स्थापित या मान्यता प्राप्त ITIs पर 4 सितंबर 2024 की अधिसूचना लागू नहीं होती।"

    कोर्ट ने 1957 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय कनाई लाल सुर बनाम परमानिधि साधुखान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि यदि कोई अधिसूचना दो व्याख्याओं के योग्य है तो अदालत को वह व्याख्या अपनानी चाहिए जो अधिसूचना की नीति को आगे बढ़ाए।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि एकल न्यायाधीश गुरु कृपा केस के कुछ टिप्पणियों से प्रभावित हो गए और उन्होंने स्पष्ट निष्कर्ष (iii) को नज़रअंदाज़ कर दिया।

    अतः खंडपीठ ने सभी विशेष अपीलों को स्वीकार करते हुए एकल जज का आदेश रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: जगदीश बोहरा प्रा. आईटीआई व अन्य बनाम राज्य राजस्थान व अन्य संबंधित याचिकाएं

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