लोकतंत्र में किसानों को राज्य में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता: हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर खोलने का आदेश दिया

Amir Ahmad

10 July 2024 9:52 AM GMT

  • लोकतंत्र में किसानों को राज्य में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता: हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर खोलने का आदेश दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर को खोलने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह पंजाब और हरियाणा तथा दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच नागरिकों की आवाजाही के लिए जीवन-रेखा है। इसके बंद होने से आम जनता को भारी असुविधा हो रही है।

    जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस विकास बहल की खंडपीठ ने किसानों के विरोध जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,

    "राज्य को जाग जाना चाहिए, सीमा को हमेशा के लिए बंद नहीं किया जाना चाहिए।"

    इसने दोनों राज्यों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि कानून और व्यवस्था बनी रहे और राजमार्ग को उसके मूल गौरव पर बहाल किया जाए।

    फरवरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया था, जिससे पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करने वाले प्रदर्शनकारियों को रोका जा सके।

    हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल ने तर्क दिया कि 400-450 प्रदर्शनकारी अभी भी पंजाब की तरफ हाईवे पर बैठे हैं। वे अंबाला में प्रवेश कर एसपी कार्यालय का घेराव कर सकते हैं।

    इस पर जस्टिस संधावालिया ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "वर्दीधारी लोग उनसे डर नहीं सकते। हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, किसानों को हरियाणा में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता, उन्हें घेराव करने दें।"

    न्यायालय ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा निवारक उपायों के कारण राजमार्ग बंद किया गया और तब से 5-6 महीने बीत चुके हैं।

    उन्होंने कहा,

    "जो डायवर्जन किया गया, उससे बहुत असुविधा हो रही है परिवहन वाहनों और बसों का कोई मुक्त प्रवाह नहीं है इसलिए आम जनता को बहुत असुविधा हो रही है।"

    यह देखते हुए कि अब प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या घटकर 400-500 रह गई। न्यायालय ने कहा कि पहले उसने कोई भी आदेश पारित करने से रोक दिया, क्योंकि सभा में हजारों की संख्या में लोग शामिल थे। हालांकि अब स्थिति बदल गई। न्यायालय ने किसान यूनियन को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि वे कानून का पालन करें।

    प्रदर्शनकारी की मौत

    न्यायालय ने 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण सिंह की मौत के संबंध में दायर FSL रिपोर्ट पर भी विचार किया। आरोप लगाया गया कि सिंह की मौत पंजाब में हरियाणा पुलिस द्वारा चलाई गई गोली लगने से हुई।

    हालांकि FSL रिपोर्ट के अनुसार सिंह की मौत शॉटगन से हुई थी। इसे देखते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की,

    "शॉटगन पुलिस अधिकारियों के पास नहीं होती।”

    किसान यूनियन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आरएस बैंस को संबोधित करते हुए न्यायालय ने कहा,

    "इससे पता चलता है कि गोली आपके ही आदमी ने मारी थी और आप लोगों ने इस पर इतना हंगामा मचाया।"

    हालांकि न्यायालय ने मामले की जांच के लिए सीनियर आईपीएस अधिकारी को नामित किया।

    न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा बल प्रयोग और अन्य पहलुओं पर समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।

    केस टाइटल- उदय प्रताप सिंह बनाम यूओआई और अन्य

    Next Story