पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने तथ्यों को दबाने के लिए व्यक्ति पर 1 लाख का जुर्माना लगाया
Amir Ahmad
16 April 2025 10:14 AM

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट (NI Act) के तहत शिकायत खारिज करने की मांग करने वाली याचिका पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, क्योंकि समन आदेश को संशोधन में चुनौती दी गई थी और खारिज कर दिया गया था।
जस्टिस महावीर सिंह सिंधु ने कहा,
"अब यह अच्छी तरह से स्थापित कानून है कि कोई भी वादी, जो न्याय की धारा को प्रदूषित करने का प्रयास करता है या जो न्याय के शुद्ध स्रोत को कलंकित हाथों से छूता है, वह अंतरिम या अंतिम किसी भी राहत का हकदार नहीं है। न्यायालय से तथ्यों को दबाना वास्तव में न्यायालय के साथ धोखाधड़ी करना है। लैटिन कहावत सुप्रेसियो वेरी, एक्सप्रेसियो फाल्सी यानी सत्य को दबाना झूठ की अभिव्यक्ति के बराबर है, आकर्षित होती है।"
न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला,
"न्यायिक कार्यवाही की शुद्धता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता; जो कोई भी इसे प्रदूषित करने का प्रयास करेगा, उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे।"
CrPC की धारा 482 के तहत दायर याचिका में NI Act की धारा 138 के तहत दायर शिकायत रद्द करने और न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष लंबित पूरी कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई।
न्यायालय ने उल्लेख किया कि मजिस्ट्रेट की अदालत ने समन आदेश जारी किया और इसे पुनर्विचार याचिका दायर करके पुनर्विचार न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई और इसे खारिज कर दिया गया।
जस्टिस सिंधु ने कहा,
"उन्हें सबसे अच्छी तरह से ज्ञात कारणों से इसका खुलासा नहीं किया गया; इस प्रकार, उनकी ओर से सक्रिय रूप से इसे छिपाया गया।"
किशोर समरीते बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [(2013) 2 सुप्रीम कोर्ट केस 398] पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता पुनर्विचार न्यायालय द्वारा 25.09.20219 को अपनी पुनर्विचार याचिका खारिज करने के तथ्य का खुलासा करने के लिए बाध्य है लेकिन वे जानबूझकर ऐसा करने में विफल रहे।
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट कर्मचारी कल्याण संघ के पास जमा किए जाने वाले 1 लाख रुपए के जुर्माने के साथ याचिका खारिज की।
केस टाइटल: डायनेमिक (सीजी) इक्विप्मेंट्स प्राइवेट लिमिटेड अपने निदेशक अश्विनी कुमार महंद्रू एवं अन्य बनाम जेसीबी इंडिया लिमिटेड के माध्यम से