तलाशी और जब्ती किए बिना पारित किया गया मूल्यांकन आदेश कानून में टिकने लायक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Amir Ahmad

25 May 2024 1:58 PM IST

  • तलाशी और जब्ती किए बिना पारित किया गया मूल्यांकन आदेश कानून में टिकने लायक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने माना कि एक बार तलाशी और जब्ती की गई और आयकर अधिनियम की धारा 153ए को लागू करके मूल्यांकन आदेश पारित किया गया तो तलाशी और जब्ती अभियान चलाए बिना नया आदेश कानून में टिकने लायक नहीं होगा।

    जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि जब याचिकाकर्ता के खिलाफ आयकर अधिनियम की धारा 132 और 132ए के तहत कोई तलाशी नहीं ली गई और केवल एम3एम इंडिया लिमिटेड के पंजीकृत कार्यालय में तैयार किए गए पंचनामा में याचिकाकर्ता का नाम दर्शाया गया तो धारा 153ए के तहत नोटिस के आधार पर दूसरा मूल्यांकन आदेश पारित करने में प्रतिवादियों की कार्रवाई अनुचित और अधिकार क्षेत्र से बाहर मानी गई।

    याचिकाकर्ता कंपनी के खिलाफ अधिनियम की धारा 132 के तहत तलाशी और जब्ती अभियान चलाया गया। तलाशी कार्यवाही के अनुसरण में वित्त वर्ष 2006-07 से वित्त वर्ष 2012-13 के लिए मूल्यांकन तैयार किए गए। आयकर अधिनियम की धारा 153ए के तहत नोटिस जारी किया गया और याचिकाकर्ता कंपनी को अघोषित आय सहित कुल आय का रिटर्न प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। अंतिम मूल्यांकन धारा 153ए के तहत तैयार किया गया। आय का रिटर्न स्वीकार कर लिया गया।

    वर्ष 2016 में एम3एम इंडिया लिमिटेड कंपनी के खिलाफ पारस ट्विन, टॉवर-बी, छठी मंजिल, गोल्फ कोर्स रोड, सेक्टर-54, गुड़गांव स्थित कार्यालय में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया गया, जो इसका पंजीकृत कार्यालय और व्यावसायिक परिसर था। हालांकि, पारस ट्विन टॉवर-बी, गुड़गांव में तैयार किए गए पंचनामा को तैयार करते समय याचिकाकर्ता कंपनी का नाम भी जोड़ दिया गया।

    हालांकि यह दावा किया गया कि याचिकाकर्ता के नाम पर धारा 132 के तहत तलाशी और जब्ती के लिए कोई प्राधिकरण जारी नहीं किया गया, न ही 2 मई, 2011 से याचिकाकर्ता कंपनी के परिसर या पंजीकृत कार्यालय में कोई तलाशी या जब्ती की गई। कार्यालय परिसर प्रतिवादी अधिकारियों को ज्ञात था, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ की गई तलाशी और जब्ती के समय वित्तीय वर्ष 2011-2012 से वे अस्तित्व में थे।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि धारा 153ए के तहत कार्यवाही स्वीकार्य नहीं थी। यदि तलाशी के दौरान कोई नई सामग्री पाई जाती है तो प्रतिवादियों के पास नया मूल्यांकन करने के लिए उपलब्ध एकमात्र प्रक्रिया धारा 153सी के तहत थी।

    धारा 153सी के तहत निर्धारित प्रक्रिया पवित्र थी और याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि यदि कानून के तहत विशेष प्रक्रिया निर्धारित की गई तो प्रतिवादियों को उसी के अनुसार आचरण करना चाहिए और एक अलग प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती। धारा 153ए के तहत नया मूल्यांकन आदेश जारी करके 400 करोड़ रुपये लगाने का आदेश पूरी तरह से विवेक के इस्तेमाल न करने पर आधारित है। याचिकाकर्ता की खाताबही में इस तरह के धन की आय का कोई प्रवाह नहीं है। अन्य कंपनी की खाता बही में सुरक्षात्मक आधार पर पहले से ही जोड़ दिया गया।

    प्राप्त राशि केवल 10 करोड़ रुपये थी और शेष 396 करोड़ रुपये की राशि अन्य कंपनियों के लिए अलग से प्राप्त और मूल्यांकन की गई। हालांकि, प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता कंपनी पर पूरी वृद्धि को अघोषित आय के रूप में डाल दिया। विभाग ने दलील दी कि याचिकाकर्ता को अधिनियम की धारा 132 के तहत तलाशी के अनुसरण में भाग लेने के बाद तलाशी पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने आयकर निपटान आयोग के समक्ष अधिनियम की धारा 245सी (1) के तहत आवेदन दिया, जिसे 29 मार्च, 2023 को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि खुलासा पूर्ण और सत्य नहीं है। विभाग द्वारा एकत्र किए गए तथ्यों को स्पष्ट करने में कमी है। इस प्रकार, मूल्यांकन का आदेश भी अपील योग्य है। इस आधार पर प्रतिवादियों ने आपत्ति जताई है।

    न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि केवल पंचनामा में नाम का उल्लेख होने के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि अधिनियम की धारा 132 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ तलाशी लेने का अधिकार था और तलाशी लेने का अधिकार केवल एम3एम इंडिया लिमिटेड के खिलाफ था, जिसका पंजीकृत कार्यालय है।

    अदालत ने कहा,

    "यदि उनके परिसर की तलाशी के दौरान याचिकाकर्ता से संबंधित कोई भी आपत्तिजनक वस्तु दस्तावेज, वस्तु या सामग्री बरामद की गई, जो मूल्यांकन अधिकारी द्वारा पुनर्मूल्यांकन के उद्देश्य के लिए पर्याप्त पाई गई तो उसे अधिनियम की धारा 153सी के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक था।"

    केस टाइटल- मिस्टी मीडोज प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

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