[Article 21] जोड़े को संभावित नुकसान की 'प्रथम दृष्टया' संतुष्टि सुरक्षा आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Amir Ahmad

12 March 2024 12:28 PM GMT

  • [Article 21] जोड़े को संभावित नुकसान की प्रथम दृष्टया संतुष्टि सुरक्षा आदेश पारित करने के लिए पर्याप्त: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा कि जब भी अदालत प्रथम दृष्टया संतुष्ट होती है कि रिश्तेदार किसी जोड़े के रिश्ते से नाखुश हैं और उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो अदालतों को उनकी सुरक्षा के लिए निर्देश पारित करने की आवश्यकता होती है।

    जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने पंजाब पुलिस को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिनिधित्व पर विचार करने का निर्देश दिया, जिसमें लड़का विवाह योग्य उम्र से कम है और महिला पहले से ही शादीशुदा है।

    पीठ ने कहा,

    प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह बालिग हो, उसको देश के कानूनों के अधीन अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ अपना जीवन जीने का अधिकार है। जब भी यह न्यायालय प्रथम दृष्टया संतुष्ट होता है कि याचिकाकर्ताओं के बीच संबंधों से कुछ रिश्तेदारों/व्यक्तियों के नाखुश होने के कारण याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता को नुकसान हो सकता है तो ऐसी परिस्थितियों में न्यायालयों को आवश्यक सुरक्षा के निर्देश पारित करने की आवश्यकता होती है।”

    ये टिप्पणियां लिव-इन जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका के जवाब में आईं, जिसमें लड़का 21 साल से कम उम्र का है। वहीं लड़की बालिग है और पहले से ही शादीशुदा है। वह अपने रिश्तेदारों से सुरक्षा की मांग कर रही है।

    प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने प्रदीप सिंह और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य में हाईकोर्ट के फैसले का उल्लेख किया

    जिसमें यह माना गया,

    "व्यक्ति को विवाह के माध्यम से साथी के साथ रिश्ते को औपचारिक बनाने या लिव-इन-रिलेशनशिप के गैर-औपचारिक दृष्टिकोण को अपनाने का भी अधिकार है।"

    जस्टिस बेदी ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हों, वे सुरक्षा के हकदार हैं।

    कोर्ट ने कहा कि जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 से निकला मौलिक अधिकार है।

    याचिकाकर्ताओं के बीच संबंधों की वैधता पर टिप्पणी किए बिना या मामले की योग्यता पर कोई राय व्यक्त किए बिना अदालत ने पुलिस को खतरे की धारणा का आकलन करने और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने के लिए याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व पर विचार करने के निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया।

    केस टाइटल- XXX बनाम पंजाब राज्य और अन्य।

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