कर्मचारी नियोक्ता की ओर से अनुचित देरी के लिए रिटायरमेंट लाभों पर ब्याज पाने का हकदार: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

Amir Ahmad

15 May 2024 8:15 AM GMT

  • कर्मचारी नियोक्ता की ओर से अनुचित देरी के लिए रिटायरमेंट लाभों पर ब्याज पाने का हकदार: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट की जस्टिस नमित कुमार की पीठ ने माना कि रिटायरमेंट लाभों में अत्यधिक देरी होती है और देरी उचित नहीं है कर्मचारी ब्याज पाने का हकदार होगा। इसने माना कि कर्मचारी उस राशि पर ब्याज पाने का हकदार होगा जिसे नियोक्ता ने बिना किसी वैध औचित्य के अपने पास रख लिया था।

    मामले के तथ्य:

    याचिकाकर्ता नगर निगम अबोहर में क्लर्क/जूनियर के रूप में कार्यरत था। उसने 29.10.1993 से 11.09.2014 और 06.11.2014 से 17.03.2016 तक सेवा की बाद में गोनियाना मंडी जिला बठिंडा में जूनियर असिस्टेंट के रूप में तैनात रहा। रिटायरमेंट की आयु प्राप्त करने के पश्चात याचिकाकर्ता 31.10.2022 को रिटायर हो गया। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद विभाग याचिकाकर्ता की रिटायरमेंट बकाया राशि जारी करने में विफल रहा। व्यथित होकर उसने पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तथा रिट याचिका दायर की।

    विभाग ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की रिटायरमेंट के पश्चात सभी पेंशन एवं रिटायरमेंट लाभ, मेडिकल भत्ता सहित कुल 18,32,817 रुपए वितरित किए गए। वितरण चार अलग-अलग चेकों के माध्यम से हुआ।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि रिटायरमेंट बकाया राशि के विलंबित भुगतान के कारण वह राशि पर ब्याज पाने का हकदार है।

    हाइकोर्ट द्वारा अवलोकन:

    हाइकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता सेवा से रिटायर हो चुका है तथा उसके विरुद्ध रिटायरमेंट से पहले या बाद में कोई विभागीय या आपराधिक कार्यवाही लंबित नहीं है। इसलिए उसने माना कि रिटायरमेंट के पश्चात याचिकाकर्ता को देय रिटायरमेंट लाभ उचित समय सीमा के भीतर जारी किया जाना आवश्यक है।

    विभाग द्वारा प्रस्तुत प्रतिक्रिया की जांच करते हुए इसने पाया कि यद्यपि सेवानिवृत्ति बकाया राशि अंततः याचिकाकर्ता को वितरित कर दी गई, लेकिन यह कार्रवाई काफी देरी से प्रभावित हुई। हाइकोर्ट ने पाया कि रिटायरमेंट के बाद या उसके बाद उचित अवधि के भीतर इन बकाया राशि को तुरंत जारी करने में विफलता के लिए कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

    हाइकोर्ट ने ए.एस. रंधावा बनाम पंजाब राज्य और अन्य (1997(3) एस.सी.टी. 468) में अपने निर्णय का हवाला दिया। इसने पाया कि जब बिना किसी उचित कारण के लाभ वितरित करने में अनुचित देरी होती है तो प्रभावित कर्मचारी रोकी गई राशि पर ब्याज पाने का हकदार होता है। राज्य का यह कर्तव्य है कि वह रिटायर लोगों को पेंशन और अन्य लाभों का समय पर वितरण सुनिश्चित करे, जिसकी सामान्य समय सीमा रिटायर की तारीख से दो महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए।

    हाइकोर्ट ने विभाग को याचिकाकर्ता को 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया, जिसकी गणना 1 जनवरी, 2023 (याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति के दो महीने बाद) से भुगतान की वास्तविक तिथि तक की जाएगी।

    केस टाइटल- हीरा लाल करकारा बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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