कुछ तारीखों पर हाज़िरी से छूट लेने भर से ज़मानत रद्द नहीं की जा सकती : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
Amir Ahmad
9 Sept 2025 4:00 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि कोई आरोपी ट्रायल के दौरान कुछ तारीखों पर अदालत में पेशी से छूट मांग लेता है तो मात्र इस आधार पर उसकी ज़मानत रद्द नहीं की जा सकती।
जस्टिस यशवीर सिंह राठौर ने कहा ,
"सिर्फ इसलिए कि याचिकाकर्ता ने छह सुनवाई की तारीखों में से तीन पर छूट मांगी, यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि उसने जानबूझकर अनुपस्थिति दर्ज कराई या ट्रायल में बाधा डाली। ज़मानत तभी रद्द की जा सकती थी, जब अदालत यह संतोष दर्ज करती कि आरोपी ने जानबूझकर अनुपस्थिति दर्ज की। ऐसे कठोर कदम की वास्तविक आवश्यकता है।"
मामला
यह याचिका धोखाधड़ी मामले (IPC की धारा 420, 406, 467, 468, 471, 120-बी) में ज़मानत रद्द किए जाने के आदेश के ख़िलाफ़ दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता का पक्ष है कि वह मुंबई निवासी है और पहले भी कई बार अदालत से पेशी से छूट लेने के लिए आवेदन दायर करता रहा, जिन्हें अदालत ने मंज़ूर किया। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी छूट की अर्जी ख़ारिज कर दी कि वह छह तारीखों में से तीन पर अनुपस्थित रहा और आदतन छूट मांगता है। नतीजतन, उसकी ज़मानत रद्द कर दी गई।
हाईकोर्ट ने साहिब सिंह उर्फ़ साब सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि गैर-जमानती वारंट जारी करना यांत्रिक ढंग से नहीं होना चाहिए और यह केवल ठोस कारणों के आधार पर ही अपनाया जाना चाहिए।
अदालत ने माना कि इस मामले में भी ज़मानत ऐसे दिन रद्द की गई जब केस केवल CrPC की धारा 239 की अर्जी पर जवाब दाख़िल करने के लिए स्थगित था। कोई अहम कार्यवाही नहीं हो रही थी। ऐसे में आरोपी की अनुपस्थिति को यह मानना कि उसने ट्रायल रोकने की कोशिश की, उचित नहीं था।
जस्टिस राठौर ने कहा ,
"व्यक्तिगत पेशी से छूट देने के बजाय ट्रायल कोर्ट ने ज़मानत रद्द कर दी। ऐसा दंडात्मक आदेश टाला जा सकता था।"
हाईकोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द करते हुए कहा कि आरोपी को ज़मानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते वह 15 दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट में पेश होकर ज़मानत बांड और दो ज़मानती पेश करे तथा प्रत्येक सुनवाई पर पेश होने का वचन दे।
केस टाइटल : दिपेश जैन बनाम पंजाब राज्य

