Encroachment Of Toll Plazas| प्रदर्शनकारियों को कानून का पालन करना चाहिए, अपनी बात साबित करने की चिंता में दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Amir Ahmad

31 July 2024 7:05 AM GMT

  • Encroachment Of Toll Plazas| प्रदर्शनकारियों को कानून का पालन करना चाहिए, अपनी बात साबित करने की चिंता में दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को अपनी बात रखने की चिंता में अपने अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। यह याचिका भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा पंजाब में टोल प्लाजा के सुचारू संचालन के लिए सुरक्षा और प्रशासनिक सहायता की मांग करते हुए दायर की गई। इसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा टोल प्लाजा को जबरन बंद करने और अवैध संचालन के खिलाफ़ आरोप लगाया गया।

    किसान यूनियन के कार्यकर्ता जून से ही टोल शुल्क में लगातार बढ़ोतरी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि NHAI पर्याप्त सुविधाएं दिए बिना अपनी मर्जी से टोल टैक्स बढ़ा रहा है।

    जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,

    "प्रदर्शनकारियों पर कानून के शासनादेश का पालन करने का भी दायित्व डाला गया। अपनी बात रखने की उत्सुकता में उन्हें वैधानिक अधिकारियों सहित अन्य व्यक्तियों को दिए गए अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। यह स्पष्ट है कि पुलिस और प्रदर्शनकारी यह सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं कि उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों/जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वहन किया जाए।"

    पंजाब के स्पेशल डीजीपी द्वारा दायर जवाब पर गौर करते हुए न्यायालय ने पाया कि टोल प्लाजा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादी राज्य द्वारा सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई। उक्त अधिकारी ने पहले इस न्यायालय के समक्ष दिनांक 15.02.2023 को एक हलफनामा दायर किया, जिसमें आश्वासन दिया गया कि पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि कोई अप्रिय घटना न हो या टोल प्लाजा के बुनियादी ढांचे को कोई नुकसान न पहुंचे।

    न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादियों की ओर से दिनांक 12.07.2023 को दिए गए हलफनामे में भी इसी तरह का वचन दोहराया गया। न्यायालय ने कहा कि समस्या का बार-बार होना सरकार की ओर से संकल्प की कमी और उसके समक्ष लाए गए मुद्दों के प्रति उसके तदर्थ दृष्टिकोण को दर्शाता है।

    NHAI द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि अमृतसर जालंधर और लुधियाना सहित पंजाब के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने बार-बार टोल प्लाजा पर कब्जा कर लिया है और टोल शुल्क वसूली के संचालन को बाधित किया है जिससे केंद्रीय राजकोष को भारी नुकसान हुआ।

    वर्तमान कार्यवाही में न्यायालय ने पंजाब राज्य के वकील से पूछा कि क्या टोल प्लाजा पर संचालन किसी वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करके या राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 और नियमों और विनियमों के प्रावधानों के विरुद्ध किया जा रहा है।

    न्यायालय ने कहा कि राज्य के वकील भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण या रियायतकर्ताओं द्वारा की गई किसी भी अवैधता को इंगित करने में सक्षम नहीं थे, जो किसी प्रदर्शनकारी को टोल प्लाजा पर नियंत्रण करने का अधिकार देता हो।

    जस्टिस ने 'बीनू रावत और अन्य बनाम में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया।

    यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य [2014] ने इस बात पर जोर दिया,

    “हालांकि प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन कानून और व्यवस्था बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना पुलिस का कर्तव्य है कि प्रदर्शनकारी कानून न तोड़ेंष इसी तरह की जिम्मेदारी प्रदर्शनकारियों पर भी है।”

    इसमें कहा गया कि ऐसे अधिकारों और कर्तव्यों के बीच उचित संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।

    इसके अलावा न्यायालय ने पंजाब राज्य के वकील द्वारा स्पेशल डीजीपी, कानून और व्यवस्था, पंजाब के विशिष्ट निर्देशों पर दिए गए वचन को स्वीकार किया कि पंजाब राज्य में किसी भी/सभी टोल प्लाजा को बंद करने के लिए विरोध प्रदर्शन 4 सप्ताह के भीतर हटा दिए जाएंगे।

    न्यायाधीश ने कहा,

    “स्पेशल पुलिस महानिदेशक, कानून और व्यवस्था, पंजाब के विशिष्ट निर्देशों पर विद्वान राज्य के वकील द्वारा दिए गए इस वचन को न्याय के हित में और प्रतिवादी-राज्य को मामले को अपने विवेक से निपटने का अवसर प्रदान करने के लिए स्वीकार किया जाता है।”

    मामले को आगे के विचार के लिए 13 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    केस टाइटल: NHAI एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।

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