पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समूह ग और घ के पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में व्यवस्थागत अनियमितताओं की कड़ी आलोचना की

Amir Ahmad

16 Aug 2025 4:35 PM IST

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समूह ग और घ के पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में व्यवस्थागत अनियमितताओं की कड़ी आलोचना की

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समूह ग और घ के पदों की भर्ती प्रक्रियाओं में व्यवस्थागत अनियमितताओं की कड़ी आलोचना की। हाईकोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की गड़बड़ियां हाशिये पर पड़े वर्गों के विश्वास को गहराई से कम करती हैं, जो इन नौकरियों को सामाजिक-आर्थिक उत्थान का महत्वपूर्ण मार्ग मानते हैं।

    यह टिप्पणी हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के बायोमेट्रिक सत्यापन के निर्देश देने वाले अपने आदेश का पालन न करने पर प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी पाते हुए की गई।

    अनुपालन न करने को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने आयोग से जूनियर इंजीनियर (सिविल) के पद के लिए अनिवार्य सत्यापन किए बिना घोषित परिणाम वापस लेने को कहा है।

    जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज ने कहा,

    "कर्मचारी चयन आयोग को समूह 'ग' और समूह 'घ' सेवाओं में भर्ती करने का वैधानिक दायित्व सौंपा गया। समाज के हाशिए पर पड़े वर्ग अक्सर इसी श्रेणी के पदों पर नियुक्ति की उम्मीद लगाए रहते हैं। इस प्रकार व्यापक जनविश्वास ऐसे निकायों पर भारी पड़ता है। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे इस भार को उठाने के लिए सशक्त कंधों और बाहरी दबावों व स्वार्थों पर विजय पाने के लिए दृढ़ संकल्पित हों।"

    न्यायालय ने आगे कहा कि ये संवैधानिक और मानवीय मूल्य यह सुनिश्चित करने के प्रमुख तत्व हैं कि समानता का अधिकार और कानून के समक्ष समानता केवल एक मृत पत्र न रहे बल्कि समानता के संवैधानिक उद्देश्यों की आत्मा हों।

    न्यायालय ने आगे कहा कि कई बार यह विश्वास तब खत्म हो जाता है, जब बड़े पैमाने पर कदाचार और मनमानी, निष्पक्षता और पारदर्शिता का अभाव परिलक्षित होता है। जिन अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई, वे अक्सर निष्पक्षता बनाए रखने या चुनौती के समय में खड़े होने में विफल रहे हैं।

    यह याचिका जूनियर इंजीनियर (सिविल) के पद पर चयन के लिए चुने गए उम्मीदवारों के OMR शीट पर उनके बायोमेट्रिक हस्ताक्षरों का मिलान प्राप्त किए गए नमूना हस्ताक्षरों से करने के निर्देश देने की मांग करते हुए दायर की गई।

    इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि आवेदन करने वाला उम्मीदवार वास्तव में इस न्यायालय के निर्णयों के अनुसार लिखित परीक्षा में उपस्थित हुआ था या नहीं और HSSC द्वारा आयोजित विभिन्न लिखित परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर नकल की समस्या को समाप्त करना था।

    सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि अंतिम सिफारिश करने से पहले, राजेश कुमार निर्णय (सीडब्ल्यूपी-14519/2017) के अनुसार उम्मीदवारों का आवश्यक बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाना चाहिए।

    राजेश कुमार निर्णय का अनुपालन न करते हुए न्यायालय ने HSSC को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

    केस टाइटल: कपिल सैनी बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य

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