अगर अनुमति नहीं दी गई तो अपूरणीय क्षति होगी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में आरोपी कैदी को LLM परीक्षा में बैठने की अनुमति दी

Amir Ahmad

24 Jun 2024 7:16 AM GMT

  • अगर अनुमति नहीं दी गई तो अपूरणीय क्षति होगी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में आरोपी कैदी को LLM परीक्षा में बैठने की अनुमति दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में कैद आरोपी को LLM परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए कहा कि अगर उसे अनुमति नहीं दी गई तो अपूरणीय क्षति होगी।

    जस्टिस विकास बहल ने कहा कि कैदी एक मेधावी स्टूडेंट रहा है> उसने LLB में अच्छे ग्रेड प्राप्त किए और उसने विभिन्न विदेशी विश्वविद्यालयों से 25 पाठ्यक्रम भी किए।

    न्यायालय ने कहा,

    "यदि याचिकाकर्ता को उक्त परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाती है तो इससे याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी, क्योंकि वह अपनी LLM (कॉर्पोरेट कानून) की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएगा। इससे उसका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए वर्तमान याचिका को स्वीकार किया जाता है।"

    हत्या के मामले में आरोपी प्रबल टाइटस ने धारा 482 सीआरपीसी के तहत याचिका दायर की, जिसमें पंजाब सरकार के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई कि वे रूपनगर जिला जेल से मोहाली के परीक्षा केंद्र तक LLM परीक्षा में शामिल होने की व्यवस्था करें। याचिका में न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश को भी चुनौती दी गई, जिसमें उसने परीक्षा देने की उसकी याचिका खारिज कर दी।

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि टाइटस ने कथित हत्या की घटना के बाद स्वेच्छा से पुलिस के समक्ष खुद को प्रस्तुत किया।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता ने घटना के सीसीटीवी फुटेज जैसे महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के संरक्षण के लिए आवेदन दिया और न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उक्त आवेदन को स्वीकार कर लिया। सभी महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के संरक्षण का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता का मामला यह है कि सीसीटीवी फुटेज यह दिखाने में मदद करेगी कि वह निर्दोष है।

    प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उल्लिपुडी मुकुंदा राव बनाम पुलिस उप-निरीक्षक और अन्य, [2003(5) एसएलआर 769] के निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें यह देखा गया कि ऐसे अवसर होते हैं, जब पुलिस द्वारा लोगों को गिरफ्तार किया जाता है, जिन्हें नौकरी की तलाश में या तो परीक्षा या साक्षात्कार में शामिल होना होता है। हिरासत में होने के कारण यदि वे अवसर खो देते हैं तो उन्हें अपूरणीय क्षति हो सकती है। शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार है, इसलिए यह निर्देश दिया गया कि यदि कोई व्यक्ति हिरासत में है तो संबंधित पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे व्यक्ति के लिए परीक्षा में शामिल होने की व्यवस्था करे।

    जस्टिस बहल ने कहा कि याचिकाकर्ता मेधावी स्टूडेंट रहा है और उसने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से वर्ष 2023 में 10 में से 8.01 सीजीपीए के साथ LLB ग्रेजुएट कोर्स पहले ही कर लिया है और उसने विभिन्न विदेशी यूनिवर्सिटी से 25 कोर्स भी किए हैं।

    न्यायालय ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने "इस मुद्दे पर कानून पर विचार किए बिना और यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता परीक्षा का एडमिट कार्ड/रोल नंबर प्रस्तुत करने में विफल रहा, जिससे यह पता लगाया जा सके कि याचिकाकर्ता ने परीक्षा में बैठने के लिए संबंधित यूनिवर्सिटी द्वारा निर्दिष्ट सभी शर्तों को पूरा किया।"

    इसे खारिज कर दिया था।

    यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता खर्च का भुगतान करने के लिए तैयार ,है न्यायालय ने याचिका स्वीकार की और उसे राज्य अधिकारियों और यूनिवर्सिटी को परीक्षा केंद्र पर उपस्थित होने की सुविधा के लिए कई निर्देश जारी किए।

    केस टाइटल- प्रबल टाइटस बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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