FSL को भेजा गया सैंपल बरामद किए गए सैंपल से अलग: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने NDPS मामले में दोषी व्यक्ति को 20 साल बाद बरी किया
Amir Ahmad
17 Dec 2024 11:39 AM IST
अफीम की भूसी के अवैध व्यापार के लिए NDPS Act के तहत दोषी ठहराए गए और 12 साल की सजा सुनाए गए 20 साल पुराने आदेश को पलटते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पाया कि बरामद किया गया सैंपल वह नहीं था, जिसे फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) भेजा गया था।
अपीलकर्ता को NDPS Act की धारा 15 के तहत 29 किलोग्राम और 750 ग्राम से अधिक अफीम की भूसी रखने के लिए दोषी ठहराया गया। न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि इस बात का अनुमान लगाने की गुंजाइश है कि मामले की संपत्ति के साथ छेड़छाड़ की गई थी।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
"इसके बाद न्यायालय में सैंपल पार्सल पेश किया गया, जिस पर आपत्तिजनक राय दर्ज की गई लेकिन वे वे नहीं थे, जिन्हें संबंधित FSL को भेजा गया, न ही इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि न्यायालय में पेश किए गए उपरोक्त सैंपल पार्सल वे हैं, जिन्हें अपराध स्थल पर जब्ती की वसूली से शुरू होने वाले लिंक को शामिल करने के लिए पुख्ता तौर पर कहा जाना चाहिए। उनकी सामग्री की सकारात्मक जांच के बाद इस प्रकार उन्हें न्यायालय में पेश करने तक, जिससे उन्हें संबंधित जांच अधिकारी को दिखाया जा सके।"
न्यायालय ने पाया कि जांच अधिकारी ने मामले में आरोपी को झूठा फंसाया। इसने आगे कहा कि चूंकि लिया गया नमूना FSL के लिए भेजे गए नमूने से अलग था, इसलिए रिपोर्ट अपनी साक्ष्य शक्ति खो देती है।
खंडपीठ ने कहा कि इस प्रकार यह अनुमान लगाने की गुंजाइश भी बची हुई है कि मामले की संपत्ति, यदि कोई हो, के साथ छेड़छाड़ की गई। इसके अलावा यह अनुमान लगाने की भी काफी गुंजाइश बची हुई है कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप से संबंधित मामले की संपत्ति के अलावा अन्य संपत्ति इस प्रकार अदालत में पेश की गई।
न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान मामले में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि सैंपल सजातीय रूप से मिश्रित थे इसलिए लिए गए सैंपल के वजन के आधार पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से साबित नहीं हो सकते। उपरोक्त निष्कर्षों के आलोक में न्यायालय ने अपील को स्वीकार कर लिया और दोषी को बरी कर दिया।
केस टाइटल: जसवंत सिंह उर्फ बबला बनाम पंजाब राज्य