पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी व्यक्ति की मृत्युदंड की पुष्टि की
Amir Ahmad
6 Dec 2024 4:02 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2018 में 3 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के लिए दोषी व्यक्ति की मृत्युदंड की पुष्टि की। यह देखते हुए कि एक बच्ची के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी भयानक हत्या, दोषी के राक्षसी आचरण का एक उदाहरण है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने फरवरी के अपने आदेश में ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए तर्क से सहमति व्यक्त की, जिसमें उन्होंने कहा कि यह मामला दुर्लभतम मामलों में से दुर्लभतम है।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के तर्क पर गौर किया और कहा कि ट्रायल जज द्वारा दोषी को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के अवलोकन सही थे। साथ ही कहा कि यह हाईकोर्ट के न्यायिक विवेक पर निर्भर करता है।
इसके बाद उन्होंने कहा,
"स्पष्ट रूप से यह मामला एक बच्ची की जघन्य हत्या से संबंधित है, लेकिन उसके साथ बलात्कार करने के बाद यह दोषी-अपीलकर्ता के अमानवीय और राक्षसी आचरण का उदाहरण है। इस प्रकार उपर्युक्त कारणों से और संबंधित ट्रायल जज द्वारा दोषी-अपीलकर्ता को मृत्युदंड की सजा सुनाने के लिए दिए गए उचित कारणों से इस न्यायालय को हत्या के संदर्भ को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। दोषसिद्धि न्यायालय द्वारा दोषी-अपीलकर्ता पर लगाई गई मृत्युदंड की सजा की पुष्टि की जाती है। जिला मजिस्ट्रेट को प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार तत्काल जल्लाद नियुक्त करने का निर्देश दिया जाता है। साथ ही दोषी-अपीलकर्ता पर मृत्युदंड की सजा को क्रियान्वित करने के लिए अनुसूची तैयार करने का भी निर्देश दिया जाता है।”
नाबालिग लड़की का शव नग्न अवस्था में सड़क पर खून से लथपथ पाया गया। दोषी पीड़िता का पड़ोसी था, जिसने उसके साथ बलात्कार और हत्या की।
POCSO Act के तहत विशेष अदालत ने उसे आईपीसी की धारा 302, 376एबी और POCSO Act की धारा 6 के तहत मौत की सजा सुनाई थी।
अदालत मौत की सजा की पुष्टि के लिए राज्य की याचिका और सजा के आदेश के खिलाफ दोषी की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
खंडपीठ ने उल्लेख किया कि दोषी ने अपने हस्ताक्षरित प्रकटीकरण बयान में मृतक पर बलात्कार करने का अपना अपराध कबूल किया है। अपराध करने के तरीके और पीड़िता को लगी चोटों का वर्णन किया।
इसने आगे उल्लेख किया कि केवल आरोपी को ही उस स्थान के बारे में पता था, जहां अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार छिपाए गए, जिन्हें बाद में बरामद किया गया।
खंडपीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि DNA रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि पीड़िता के शरीर पर खून के धब्बे और अन्य स्वाब दोषी के थे।
साथ ही जिस स्थान पर शव मिला था, वह अपराध स्थल और दोषी के करीब था।
पीठ ने कहा,
"जैसा भी हो उक्त सर्वोत्तम वैज्ञानिक साक्ष्य अभियुक्त और मृतक के अंतिम बार एक साथ देखे जाने के सिद्धांत की पुष्टि भी करते हैं, जैसा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों द्वारा कहा गया। इसके बाद जब परिस्थितिजन्य साक्ष्य आधारित मामले में अभियुक्त और मृतक के अंतिम बार एक साथ देखे जाने के संबंध में अपराध संबंधी संबंध बहुत महत्वपूर्ण होता है।"
उपर्युक्त के आलोक में न्यायालय ने मृत्युदंड के निष्पादन के लिए अनुसूची तैयार करने और अपील की समय अवधि समाप्त होने के बाद इसे निष्पादित करने का निर्देश दिया।
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