पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरसा जिले के नगर निकाय सीमा में कलानवाली गांव को शामिल करने का फैसला खारिज किया
Amir Ahmad
5 Dec 2024 11:01 AM IST

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरसा जिले में कलानवाली नगर पालिका समिति सीमा में कलानवाली गांव क्षेत्र को शामिल करने संबंधी हरियाणा सरकार की अधिसूचना खारिज की।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा कि चूंकि आपत्तिकर्ताओं को व्यक्तिगत सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया, जबकि पूर्ववर्ती ग्राम सभा क्षेत्रों के निवासियों पर उनकी भूमि के नगर निगम सीमा में आने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की प्रथम दृष्टया संभावना थी।
ये टिप्पणियां ग्राम पंचायत कलानवाली और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं, जिसमें 25.04.2023 की अधिसूचना को खारिज करने की मांग की गई थी।
अधिसूचना ने नगर पालिका समिति कलानवाली के अधिकार क्षेत्र को ग्राम पंचायत कलानवाली के क्षेत्रों को शामिल करने के लिए बढ़ा दिया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि दिशानिर्देशों का पालन किए बिना या निवासियों और पंचायत द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर विचार किए बिना समावेशन मनमाने ढंग से किया गया।
यह भी तर्क दिया गया कि 3 मार्च, 2009 के दिशानिर्देशों के तहत समावेशन मानदंडों का आकलन करने के लिए अनिवार्य समिति का गठन नहीं किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि समावेशन से गांव की कृषि प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा उच्च कर लगेंगे और मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजनाएं बाधित होंगी।
प्रस्तुतियों की जांच करने के बाद न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को उठाई गई आपत्तियों पर विचार करना आवश्यक है। आपत्तियों की सार्थक समीक्षा और आपत्तिकर्ताओं को व्यक्तिगत सुनवाई के प्रावधान सहित एक तर्कसंगत निर्णय की आवश्यकता है।
फिर भी आपत्तिकर्ताओं को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। साथ ही उन पर कोई तर्कपूर्ण निर्णय भी दर्ज नहीं किया गया। इसलिए उपरोक्त चूक का प्रभाव यह है कि संबंधित प्रतिवादी द्वारा न केवल एक लापरवाही भरा बल्कि गलत सूचना पर आधारित निर्णय लिया गया, जिसके तहत विवादित अधिसूचना जारी की गई, जिसके तहत ग्राम सभा क्षेत्रों को नगरपालिका सीमा में शामिल कर दिया गया।
बलदेव सिंह एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य [एआईआर 1987 सुप्रीम कोर्ट 1239] का हवाला दिया गया, जिसमें इसी तरह के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार द्वारा जारी अधिसूचना खारिज की, जिसमें कहा गया कि भारत के नागरिकों को यह तय करने का अधिकार है कि उनके समाज की प्रकृति क्या होनी चाहिए, जिसमें वे रहते हैं- कृषि, अर्ध-शहरी या शहरी। बेशक, जीवन जीने का तरीका अलग-अलग होता है।
यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति कहां रहता है। किसी ग्राम पंचायत द्वारा कवर किए गए क्षेत्र को अधिसूचित क्षेत्र में शामिल करने से निश्चित रूप से नागरिक परिणाम सामने आएंगे। ऐसी परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि परिवर्तन से प्रभावित होने वाले लोगों को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए। अन्यथा उन्हें ग्राम पंचायतों में पद से हटाए जाने जीवन जीने के तरीके पर रोक लगने, करों में वृद्धि आदि जैसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
खंडपीठ ने कहा कि चूंकि अधिकारी आपत्तिकर्ताओं को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देने में विफल रहे, इसलिए अधिसूचना हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के विपरीत है।
टाइटल: ग्राम पंचायत कलांवाली और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य

