6 माह में निष्पादन नहीं किया तो अवमानना मानी जाएगी: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी

Amir Ahmad

22 Aug 2025 11:52 AM IST

  • 6 माह में निष्पादन नहीं किया तो अवमानना मानी जाएगी: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया कि यदि न्यायिक अधिकारी और संबंधित प्राधिकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के भीतर निष्पादन (Execution) की कार्यवाही पूरी नहीं करते, तो यह आदेश की अवमानना मानी जाएगी।

    जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल एस. शाह बनाम जिनेंद्र कुमार गांधी (2021) मामले में स्पष्ट निर्देश दिए कि निष्पादन याचिका दायर होने की तिथि से छह माह के भीतर निष्पादन कार्यवाही पूरी होनी चाहिए। इस अवधि को केवल ठोस कारणों को लिखित रूप में दर्ज करने के बाद ही बढ़ाया जा सकता है।

    हाईकोर्ट के समक्ष गुरूहर्सहाई (पंजाब) की एक निष्पादन याचिका का मामला आया, जो 2015 से लंबित है। डिक्री धारक को आठ साल बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

    जस्टिस शर्मा ने टिप्पणी की,

    "यह न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है, बल्कि न्यायिक अधिकारियों और राज्य के अधिकारियों द्वारा की जा रही देरी गंभीर लापरवाही का उदाहरण है। यदि यह रवैया जारी रहा तो इसे कानून के तहत 'जानबूझकर अवमानना' माना जाएगा।”

    रिकॉर्ड में सामने आया कि सितंबर, 2023 से फरवरी, 2025 के बीच कम से कम पांच बार विस्तार मांगा गया। कारण बताए गए सरकारी वकील की अनुपस्थिति पुलिस सहायता का इंतज़ार, और जिला अटॉर्नी से कानूनी राय लेने तक। हाईकोर्ट ने इन्हें कानूनी रूप से अस्वीकार्य और लापरवाह रवैया” करार दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह सिर्फ़ देरी करने और समय निकालने का सोचा-समझा प्रयास है। सीपीसी की धारा 51 और आदेश XXI स्पष्ट रूप से निष्पादन के लिए विस्तृत अधिकार और प्रक्रिया देते हैं। लगातार स्थगन देना न केवल अवैध है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।"

    हाईकोर्ट ने अपने आदेश की प्रति पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सभी जिला एंड सेशन जजों को भेजने का निर्देश दिया और फिरोजपुर के जिला एंड सेशन जज को मामले में तुरंत कार्रवाई कर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

    यह फैसला न्यायपालिका को याद दिलाता है कि निष्पादन कार्यवाही में देरी न्याय की आत्मा को आहत करती है और अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    केस टाइटल: कन्वर नरेश सिंह सोढ़ी बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य

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