सीमा पर तैनात सशस्त्र बलों के कारण मनाते हैं गणतंत्र दिवस, केंद्र उनकी स्थिति के प्रति सचेत रहे: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिव्यांगता पेंशन जारी न करने पर कहा

Amir Ahmad

25 Jan 2025 9:42 AM

  • सीमा पर तैनात सशस्त्र बलों के कारण मनाते हैं गणतंत्र दिवस, केंद्र उनकी स्थिति के प्रति सचेत रहे: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिव्यांगता पेंशन जारी न करने पर कहा

    दिव्यांगता पेंशन जारी करने में विफलता पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए रिटायर सशस्त्र बल अधिकारी को दिव्यांगता पेंशन देने में केंद्र सरकार की विफलता पर कड़ा रुख अपनाया है।

    23 जनवरी को पारित आदेश में जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की पीठ ने कहा,

    "अगले तीन दिनों में हम 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं और स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस का पूरा उत्सव मूल रूप से हमारे सैन्य बलों द्वारा सीमाओं पर कठिन ड्यूटी करने और यहां तक कि आतंकवाद विरोधी चुनौतियों का सामना करने के कारण है। इसलिए भारत संघ और उसके अधिकारियों को अपनी स्थिति के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।"

    न्यायालय ने आगे कहा कि रिटायर सशस्त्र बल अधिकारी अनुशासित लोग हैं, जिनकी आयु 80 वर्ष या उससे अधिक है तथा वे अपने अधिकारों का दावा करने के लिए हाईकोर्ट और सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल (AFT) के समक्ष आ रहे हैं, जो नहीं किया जाना चाहिए था, क्योंकि कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा हकदार होने के पश्चात राहत प्रदान करनी चाहिए।

    ये टिप्पणियां केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं, जिसमें AFT द्वारा भारत संघ एवं अन्य बनाम राम अवतार में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार, विकलांगता पेंशन को 50% तक पूर्णांकित करने के निर्णय को इस आधार पर चुनौती दी गई कि सैन्यकर्मी ने देरी के बाद AFT से संपर्क किया।

    पीठ की ओर से बोलते हुए जस्टिस संजीव प्रकाश ने कहा कि पेंशन न तो कोई इनाम है और न ही रिटायर सैन्यकर्मी को दिया जाने वाला दान है, जो सेवा के दौरान दिव्यांगता का सामना कर चुका है तथा दिव्यांगता के बढ़ने के कारण उसे विकलांगता पेंशन दी जाती है।

    पीठ ने कहा कि AFT द्वारा कई आदेश पारित किए गए, जिनमें कहा गया कि दिव्यांगता का प्रतिशत 50%, 75% और 100% तक पूर्णांकित किया जाना चाहिए, क्योंकि शुरू में संबंधित सैन्य कर्मियों को उसी से कम दिव्यांगता के कारण अमान्य घोषित किया गया।

    उन्होंने कहा कि AFT द्वारा पारित आदेशों को अंततः राम अवतार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुष्टि की गई।

    न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में जो कि विवेचना में उचित निर्णय है, भारत संघ और उसके प्राधिकारी सभी मौजूदा पेंशनभोगियों को पूर्णांकित करने का लाभ देने के लिए बाध्य हैं और उनकी दिव्यांगता पेंशन को 50%, 75% और 100% तक बढ़ाया जाना आवश्यक है, जहां भी विकलांगता 50%, 75% और 100% से कम पाई जाती है जैसा भी मामला हो।

    उन्होंने कहा,

    "हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि भारत संघ अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहा है। पेंशन विभाग को तदनुसार कार्य करने के लिए निर्देश जारी नहीं किया है। पेंशनभोगी, जिनके अधिकार राम अवतार (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय द्वारा स्पष्ट किए गए, को राउंडिंग ऑफ का दावा करने के लिए विभिन्न एएफटी से संपर्क करना पड़ा।”

    जस्टिस शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में हाईकोर्ट के साथ-साथ ट्रिब्यूनल को पेंशनभोगियों को राहत देने का निर्देश दिया। इस प्रकार, सभी मौजूदा मामलों को भी उसी शर्तों के तहत निपटाने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को भारत संघ द्वारा ध्यान में रखा गया।

    पीठ ने कहा कि सेना के अधिकारियों के माध्यम से भारत संघ द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण पूरी तरह से अनुचित था। राम अवतार के मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का प्रयास था।

    इस बात पर गौर करते हुए कि मौजूदा मामले में जिस आदेश को चुनौती दी गई, उसे 2018 में AFT ने पारित किया, कोर्ट ने कहा,

    "हमें इस बात का कोई सुराग नहीं है कि आदेश का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया गया। संबंधित अधिकारियों को ऐसे मामलों में जवाबदेह होना चाहिए।"

    नतीजतन याचिका खारिज कर दी गई।

    टाइटल: यूनियन ऑफ इंडिया बनाम जेसी 428517 पूर्व सूबेदार अनोख सिंह और अन्य

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