बैंक धोखाधड़ी | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लंबी कैद के आधार पर PMLA के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी

Amir Ahmad

23 Jan 2025 8:25 AM

  • बैंक धोखाधड़ी | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लंबी कैद के आधार पर PMLA के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एसईएल टेक्सटाइल्स लिमिटेड के पूर्व निदेशक नीरज सलूजा को जमानत दी, जिन पर स्वीकृत ऋण राशि को अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट करने का आरोप है।

    जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा,

    "याचिकाकर्ता को वर्तमान मामले में 18.01.2024 को गिरफ्तार किया गया और वह पिछले 01 वर्ष से अधिक समय से हिरासत में है। हालांकि यह कहा गया कि शिकायत PMLA के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई। हालांकि आगे की कार्यवाही रोक दी गई है और उचित समय अवधि के भीतर मुकदमा पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।"

    न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णयों में माना कि त्वरित सुनवाई का अधिकार और स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र अधिकार हैं। संवैधानिक न्यायालय होने के नाते इस न्यायालय को इस कारक को उचित महत्व देना चाहिए।

    यह देखते हुए कि सलूजा एक साल से अधिक समय से हिरासत में है और ट्रायल कोर्ट के समक्ष मुकदमा शुरू नहीं हुआ, कोर्ट ने कहा

    "याचिकाकर्ता को स्पष्ट रूप से त्वरित सुनवाई के उसके अधिकार से वंचित किया गया।"

    सलूजा पर जालंधर के प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पंजीकृत धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA) की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया। ED की ओर से पेश सीनियर वकील ने तर्क दिया कि जमानत याचिका स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता PMLA की धारा 45 के तहत निर्धारित दोहरी शर्तों को पूरा किए बिना जमानत की विवेकाधीन राहत मांगने का हकदार नहीं था।

    उन्होंने कहा,

    "धन शोधन अपराध राष्ट्रीय हित के लिए एक गंभीर खतरा है और यह अपराध उचित साजिश के साथ किया गया और बैंकों के पैसे को लूटने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।"

    यह भी आरोप लगाया गया कि जांच के दौरान, यह पाया गया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ ने विनिर्माण संयंत्र और कार्यशील पूंजी स्थापित करने के उद्देश्य से कंपनी को ऋण राशि वितरित की थी। हालांकि, याचिकाकर्ता ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 81.03 करोड़ रुपये की ऋण राशि का कुछ हिस्सा अवैध रूप से दो कंपनियों, यानी मेसर्स सिल्वरलाइन कॉर्पोरेशन लिमिटेड और मेसर्स रिदम टेक्सटाइल्स एंड अपैरल्स पार्क लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया, जो उसके स्वामित्व में नहीं थीं।

    इसके अलावा याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता और अन्य आरोपियों ने निर्यात की आड़ में लगभग 191 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की, जिससे बैंकों को गलत तरीके से नुकसान हुआ।

    प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने पाया कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के खिलाफ FIR में आगे की कार्यवाही पर रोक लगाई, जिसके आधार पर ED द्वारा ECIR दर्ज की गई थी। बाद में ECIR के तहत कार्यवाही पर भी रोक लगा दी गई।

    जस्टिस शेखावत ने कहा,

    "जब FIR के साथ-साथ ECIR के अनुसरण में आगे की कार्यवाही इस न्यायालय की खंडपीठ द्वारा रोक दी गई और मामला अभी भी इस न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है तो याचिकाकर्ता को सलाखों के पीछे रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।"

    जमानत की राहत देते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को देश से भागने से रोकने और मुकदमे के दौरान उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपलब्ध कराने के लिए कुछ शर्तें लगाईं।

    केस टाइटल: नीरज सलूजा बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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