जांच में बाधा डालने के लिए अधिकारियों द्वारा हर संभव प्रयास किया गया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जांच की मंजूरी देने में देरी के लिए PUDA,GMAD को फटकार लगाई

Amir Ahmad

2 April 2024 12:54 PM IST

  • जांच में बाधा डालने के लिए अधिकारियों द्वारा हर संभव प्रयास किया गया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जांच की मंजूरी देने में देरी के लिए PUDA,GMAD को फटकार लगाई

    पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने आपराधिक मामलों में जांच में देरी के लिए राज्य प्राधिकरणों पंजाब शहरी नियोजन एवं विकास प्राधिकरण (PUDA) तथा ग्रेटर मोहाली क्षेत्र विकास प्राधिकरण (GMAD) को फटकार लगाई, जिसके लिए उसे मंजूरी देने का अधिकार दिया गया था।

    जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा,

    "एसएसपी फतेहगढ़ साहिब द्वारा प्रस्तुत हलफनामे से यह स्पष्ट है कि PUDA/GMAD के अधिकारियों ने जांच की प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए हर संभव प्रयास किया, जो कि जाहिर तौर पर उक्त मामलों में आरोपियों के प्रभाव में है। इस न्यायालय के संज्ञान में यह भी आया कि कई मामलों में जांच की प्रक्रिया में अनुचित रूप से देरी हुई, क्योंकि विभिन्न अनुस्मारकों के बावजूद PUDA/GMAD से रिपोर्ट/मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था।"

    परिणामस्वरूप न्यायालय ने PUDA और GMAD को अगली तिथि तक अपने व्यक्तिगत हलफनामों के माध्यम से निम्नलिखित जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया:

    (i) एफआईआर का विवरण, जिसमें नंबर, तिथि, धाराएं, पुलिस स्टेशन शामिल हैं, जिसमें संबंधित पुलिस प्राधिकरण द्वारा रिपोर्ट/मंजूरी मांगी गई।

    (ii) संबंधित पुलिस स्टेशन/एसएसपी/किसी अन्य पुलिस अधिकारी से अनुरोध प्राप्त होने की तिथि।

    (iii) उस अधिकारी का नाम, जिसने ऐसी सूचना प्राप्त की थी।

    (iv) उस अधिकारी का नाम, जिसने विभिन्न चरणों में प्रत्येक फाइल को निपटाया।

    (v) ऐसी प्रत्येक एफआईआर में रिपोर्ट/स्वीकृति की आपूर्ति की तिथि।

    (vi) पुलिस को रिकॉर्ड/सूचना की आपूर्ति में देरी के कारण।

    (vii) प्रत्येक मामले में रिपोर्ट/स्वीकृति की आपूर्ति में देरी करने वाले दोषी अधिकारी(ओं) के खिलाफ की गई कार्रवाई यदि कोई हो।

    यह घटनाक्रम धारा 482 के तहत याचिका दायर किए जाने के बाद हुआ, जिसमें 2017 में दर्ज आईपीसी की धारा 279, 304-ए के तहत दर्ज मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी या पुलिस अधीक्षक स्तर के सीनियर पुलिस अधिकारी को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया। इसमें आरोप लगाया गया कि कुछ पुलिस अधिकारी उन्हें झूठा फंसाने की कोशिश कर रहे हैं और 5 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं।

    सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि जांच 6 वर्षों से लंबित है और पुलिस ने चालान दाखिल नहीं किया। इसलिए उसने पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के एसएसपी को वर्तमान मामले में जांच करने में देरी के कारणों को स्पष्ट करते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    न्यायालय ने एसएसपी को अपने जिले में एफआईआर (थानावार) की सूची दाखिल करने के लिए भी कहा, जहां जांच पिछले 3 वर्षों से लंबित है।

    निर्देश के अनुपालन में SSP ने प्रस्तुत किया कि जांच 3 वर्षों से अधिक समय से लंबित है, क्योंकि विभिन्न अनुस्मारकों के बावजूद PUDA/GMAD से रिकॉर्ड का इंतजार किया जा रहा है।

    इसके बाद जस्टिस शेखावत ने कहा,

    "यह देखना चौंकाने वाला है कि इन मामलों में जांच पिछले लगभग 11 वर्षों से विलंबित है, क्योंकि गमाडा/पमाडा द्वारा रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया। PUDA/GMAD की ओर से देरी के कारण इन मामलों में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू नहीं हो सका और जाहिर तौर पर PUDA/GMAD ने आरोपियों के प्रभाव में रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया।"

    न्यायालय ने PUDA और GMAD को प्रतिवादी बनाया और एसएसपी को नवीनतम स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

    वर्तमान सुनवाई में SSP द्वारा दाखिल रिपोर्ट पर गौर करते हुए न्यायालय ने कहा,

    "पांच आपराधिक मामलों की जांच में लगभग 11 साल की देरी हुई, क्योंकि PUDA/GMAD से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था।"

    उपर्युक्त के मद्देनजर कोर्ट ने PUDA और GMAD को उन मामलों का ब्यौरा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिनके लिए पुलिस अधिकारियों ने उनसे मंजूरी मांगी थी।

    मामला आगे के विचार के लिए 19 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध है।

    केस टाइटल: पीयूष बंसल बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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