हेडमास्टर नहीं, सिर्फ एक टीचर, शर्मनाक स्थिति: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूल की खस्ता हालत पर केंद्र को भी फंड देने का निर्देश दिया

Amir Ahmad

14 Oct 2025 1:41 PM IST

  • हेडमास्टर नहीं, सिर्फ एक टीचर, शर्मनाक स्थिति: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूल की खस्ता हालत पर केंद्र को भी फंड देने का निर्देश दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अमृतसर के टापियाला स्थित सरकारी स्कूल की दयनीय स्थिति पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने पाया कि स्कूल में न तो कोई हेडमास्टर है, न पर्याप्त बुनियादी ढांचा और केवल एक शिक्षक है, जो सभी स्टूडेंट्स को पढ़ाता है। स्टाफ के लिए अलग शौचालय की सुविधा नहीं है। तीन कक्षाओं (छठी से आठवीं) के लिए केवल एक कमरा उपलब्ध है।

    जस्टिस एन.एस. शेखावत ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने इस आदेश को चीफ जस्टिस के समक्ष रखने का निर्देश दिया ताकि इसे एक जनहित याचिका (PIL) के रूप में माना जा सके।

    जज ने कहा,

    "वर्तमान मामले के तथ्य स्पष्ट रूप से पंजाब राज्य के सरकारी स्कूलों के शर्मनाक हालात को उजागर करते है। ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी सरकारी स्कूलों की ऐसी स्थितियों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं जो बिना किसी शिक्षक, प्रिंसिपल/हेड टीचर, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाओं के चल रहे हैं।"

    कोर्ट ने पाया कि गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, टापियाला गांव में छठी से आठवीं तक की तीन कक्षाओं के लिए केवल एक कमरा उपलब्ध है। स्टूडेंट्स के लिए केवल दो शौचालय हैं। शिक्षक स्टाफ के लिए अलग शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है।

    इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि स्कूल में कोई नियमित हेडमास्टर या अन्य स्टाफ सदस्य नहीं है। किसी अन्य सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल को इस स्कूल के हेडमास्टर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।

    जज ने यह भी पाया कि स्कूल में केवल 9 स्टूडेंट्स का नामांकन हुआ। कोर्ट ने अनुमान लगाया कि अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और शिक्षकों की कमी के कारण ही माता-पिता अपने बच्चों को यहां भेजने के इच्छुक नहीं हैं। कोर्ट ने माना कि शायद ये 9 छात्र भी समाज के सबसे गरीब वर्ग से आते होंगे, जो शायद केवल मिड-डे मील लेने के लिए स्कूल आ रहे हैं। कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि छठी से आठवीं कक्षा के स्टूडेंट्स को कई विषय पढ़ाए जाने होते हैं जबकि पूरे स्कूल में केवल एक हिंदी शिक्षक उपलब्ध है।

    कोर्ट ने RTE Act की धारा 7 का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए धन उपलब्ध कराने की समवर्ती जिम्मेदारी (Concurrent Responsibility) केंद्र और राज्य सरकार दोनों की है।

    कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए पूंजी और आवर्ती व्यय का अनुमान तैयार करने और राज्य सरकारों को समय-समय पर अनुदान-सहायता (Grants-in-aid) प्रदान करने के कानूनी कर्तव्य के तहत है।

    इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि RTE Act की धारा 8 के अनुसार यह उचित सरकार का कर्तव्य है कि वह पड़ोस के स्कूलों की उपलब्धता सुनिश्चित करे; स्कूल भवन, शिक्षण स्टाफ और सीखने के उपकरण सहित बुनियादी ढांचा प्रदान करे और अच्छी गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करे।

    कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कल्याणकारी राज्य में राज्य सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि पंजाब की युवा पीढ़ी को भविष्य में वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करनी है और शिक्षा कोई उपभोक्ता सेवा नहीं है।

    कोर्ट ने कहा,

    "संविधान के अनुच्छेद 21-ए का सही मायने में पालन सुनिश्चित करने के लिए यह अनिवार्य है कि राज्य के सभी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक हों और साथ ही बुनियादी ढांचा भी उपलब्ध हो।"

    जज ने कहा कि यह अधिकार केवल मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए कि राज्य के सभी युवा बच्चों को उनके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो।

    उपरोक्त स्थिति के मद्देनजर कोर्ट ने पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव को निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया-

    1. पंजाब राज्य के उन सभी सरकारी मिडिल स्कूलों का पूरा विवरण जहां पांच से कम कमरे हैं।

    2. उन सरकारी मिडिल स्कूलों का विवरण जहां कोई नियमित हेडमास्टर तैनात नहीं है।

    3. उन स्कूलों की संख्या और विवरण जहां सरकारी मिडिल स्कूलों में पाँच से कम शिक्षक तैनात हैं।

    4. उन सरकारी मिडिल स्कूलों का विवरण जहां लड़कों, लड़कियों और स्टाफ के लिए अलग शौचालय नहीं हैं।

    5. उन सरकारी मिडिल स्कूलों की सूची जहां चालू शैक्षणिक सत्र में 50 से कम स्टूडेंट्स का नामांकन हुआ।

    6. उन सरकारी मिडिल स्कूलों का विवरण जहां बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

    7. उन स्कूलों की संख्या और विवरण जहां शौचालयों की सफाई के लिए कोई स्वीपर प्रदान नहीं किया गया।

    8. क्या स्कूलों में शौचालय की सफाई सामग्री खरीदने के लिए राज्य द्वारा अलग से फंड प्रदान किया गया।

    9. उन मिडिल स्कूलों का विवरण जहां स्टूडेंट्स के लिए खेल का मैदान उपलब्ध नहीं है।

    10. क्या स्टूडेंट्स के लिए सरकारी मिडिल स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाने के लिए कोई प्रावधान किया गया।

    मुख्य मामले को 14 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए उचित बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।

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