पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एम3एम निदेशक के खिलाफ PMLA मामले पर 30 जुलाई तक लगाई रोक
Amir Ahmad
28 May 2025 3:27 PM IST

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने M3M कंपनी के निदेशक रूप कुमार बंसल और अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत लंबित मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा की गई कार्यवाही पर रोक के आदेश को 30 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुसार रूप बंसल समेत कुल 52 लोग मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं और उन्होंने PMLA की धारा 3 और 4 के तहत अपराध किया है। यह मामला फिलहाल पंचकूला के स्पेशल कोर्ट में विचाराधीन है।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई तक स्थगित करते हुए कहा,
"इस बीच, विवादित आदेश का संचालन अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगा।"
याचिकाकर्ता-प्रवर्तन निदेशालय की ओर से विशेष वकील जोहेब हुसैन और केंद्रीय सरकार के पैनल में सीनियर एडवोकेट लोकेश नारंग ने अदालत के समक्ष यह तर्क रखा कि स्पेशल जज, PMLA पंचकूला ने केवल इस आधार पर अभियोजन की कार्यवाही पर रोक लगा दी कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW), दिल्ली द्वारा दर्ज की गई FIR नंबर 14 दिनांक 12.03.2024, जो एक अनुसूचित अपराध है, अभी जांच के अधीन है और उस पर चार्जशीट दाखिल नहीं हुई।
उन्होंने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने PMLA और CrPC दोनों के तहत अपनी अधिकारसीमा से बाहर जाकर यह आदेश पारित किया, क्योंकि इन दोनों कानूनों में कहीं भी आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का प्रावधान नहीं है, न ही CPC की धारा 151 के समान कोई अंतर्निहित शक्तियां दी गई हैं। इस आधार पर उन्होंने तर्क दिया कि यह आदेश विधिक प्रावधानों के बाहर है।
हुसैन ने आगे कहा कि PMLA की धारा 44 की व्याख्या (Explanation) स्पष्ट रूप से यह अनुमति देती है कि अनुसूचित अपराध की स्थिति चाहे जो भी हो, मनी लॉन्ड्रिंग के अभियोजन की कार्यवाही जारी रह सकती है। ट्रायल कोर्ट ने अपने ही पुराने आदेश की अनदेखी की, जिसमें FIR नंबर 14/2024 को अभियोजन शिकायत में CrPC की धारा 311 के तहत सम्मिलित करने की अनुमति दी गई थी।
उन्होंने यह भी बताया कि कुल 32 मूल प्राथमिकी (Predicate FIRs) में से केवल FIR नंबर 14 दिनांक 12.03.2024 अभी भी जांच के अधीन है और न तो वह खारिज हुई है, न उस पर रोक लगी है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट की यह टिप्पणी कि जांच अब भी जारी है, पूरी तरह गलत और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत सरकार : (2022) 10 SCC 60 के विरुद्ध है।
इस निर्णय में स्पष्ट कहा गया कि PMLA के अंतर्गत कार्यवाही पर प्रभाव केवल तभी पड़ता है, जब अनुसूचित अपराध से संबंधित व्यक्ति को दोषमुक्त, बरी या FIR रद्द किया गया हो—जबकि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
उन्होंने एस. मार्टिन बनाम प्रवर्तन निदेशालय और महावीर प्रसाद रूंगटा बनाम प्रवर्तन निदेशालय [SLP (Crl.) No.12353/2024] मामलों का हवाला भी दिया, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि PMLA के तहत ट्रायल, मूल अपराध की लंबित कार्यवाही के साथ-साथ चल सकता है, बशर्ते अंतिम निर्णय (Pronouncement of Judgement) पर रोक हो।
केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम रूप कुमार बंसल एवं अन्य

